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________________ ३२० Number Numberable Raising of number to its own power षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका संख्या संख्यात संख्यातुल्य घात सातत्य साधारणीकृत सीमा सीमातीत संख्या सूत्र Continuum. Generalised. Boundary. Transfinite number Formula. कन्नड़ प्रशस्ति अन्तर-प्ररूपणा के पश्चात् और भाव-प्ररूपणा से पूर्व प्रतियों में दो कन्नड़ पद्यों की प्रशस्ति पाई जाती है जो इस प्रकार है - पोडवियोलु मल्लिदेवन पडेदर्थवदर्थिजनकवाश्रितजनकं । पडेदोडप्रेयादुदिनी पडेवळनौदार्यदोलवने बण्णिपुदो॥ कडुचोद्यवनदानं बेडंगुवडेदेसेव जिनगृहगलुवं ता। नेडेवरियदे माडिसुवं पडेवळनी मल्लिदेवनेंब विधात्रं ॥ ये दोनों पद्य कन्नड भाषा के कंदवृत्त में है । इनका अनुवाद इन प्रकार है - " इस संसार में मल्लिदेव द्वारा उपार्जित धन अर्थी और आश्रित जनों की सम्पत्ति हो गया । अब सेनापति की उदारता का यथार्थ वर्णन किस प्रकार किया जा सकता है ?" "उनका अन्नदान बड़ा आश्चर्यजनक है । ये सेनापति मल्लिदेव नाम के विधाता बिना किसी स्थान के भेदभाव के सुन्दर और महान् जिनगृह निर्माण करा रहे हैं।"
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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