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________________ षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका ३०१ (६) यदि . क और 2. क स , तो - और यदि - : क-स, तो- ब' = ब+ 48 | (७) यदि - क, और दूसरा भिन्न है, तो - | बस ब + ख क - स (८) यदि 1 = क और ... = क - स तो-- (९) यदि १ = क और अ. = क + स तो - ख = बस - ख बस = क + स तो- ख = - क + स ब - भ (१०) ५ यदि - = क और --- = कतो - क = क - + स ཐ/༔ - अ (११) यदि- = क. , और , और बस - कस = क तो-क' = क - - ब + स ये सब परिणाम धवला के अन्तर्गत अवतरणों में पाये जाते हैं। वे किसी भी गणित संबंधी ज्ञात ग्रंथों में नहीं मिलते। ये अवतरण अर्धमागधी अथवा प्राकृत ग्रंथों के हैं। १ भाग ३, पृ. ४६, गाथा २५. ४ भाग ३, पृ. ४९, गाथा ३० २ भाग ३, पृ.४६, गाथा २८. ५ भाग ३, पृ. ४९, गाथा ३१ ३ भाग ३, पृ. ४८, गाथा २९ ६ भाग ३, पृ. ४९, गाथा ३२
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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