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________________ २३४ षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका ३ काय मार्गणा (पृ. ३४१) वनस्पति | वायु | जल | पृथिवी | तेज | त्रस अकाय सर्व जीव अनन्त असंख्य | असंख्य असंख्य | असंख्य असंख्य | अनन्त अनन्त १७६ काय. वचन. ४ योग मार्गणा (पृ. ४१२) अयोगी | सर्व जीव अनन्त मन. अनन्त असंख्य असख्य अनन्त ५ वेद मार्गणा (पृ. ४२१) अवेद | सर्व जीव असंख्य अनन्त अनन्त नपुंसक अनन्त पुरुष असंख्य २०० १६ लोभ. माया. ६ कषाय मार्गणा (पृ.४३१) क्रोध. . मान. अकषायी. | सर्वजीव अनन्त अनन्त अनन्त अनन्त अनन्त अनन्त ४८ १ यहां यह सिद्धों का प्रमाण अयोगिकेवलियों से सातिरेक समझना चाहिये। २ यहां सिद्धों का प्रमाण ९वें गुणस्थान के अवेद भाग से ऊपर के समस्त गुणस्थानों की राशियों से सातिरेक है। ३ यहां सिद्धों का प्रमाण ११ वें और ऊपर के समस्त गुणस्थानों की राशियों से सातिरेक है।
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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