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________________ षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका १०७ अभी तक यही एक ग्रंथ ऐसा प्रकाशित हो रहा है जिसमें साहित्यिक प्राकृत गद्य पाया जाता है । अभी इस गद्य का बहुत बड़ा भाग आगे प्रकाशित होने वाला है । अत: ज्यों-ज्यों वह साहित्य सामने आता जायेगा त्यों-त्यों इस प्राकृत के स्वरूपपर अधिकाधिक प्रकाश डालने का प्रयत्न किया जायेगा। इसी कारण ग्रंथ की संस्कृत भाषा के विषय में भी अभी हम विशेष कुछ नहीं लिखते । केवल इतना सूचित कर देना पर्याप्त समझते है कि ग्रंथ की संस्कृत शैली अत्यन्त प्रौढ़, सुपरिमार्जित और न्यायशास्त्र के ग्रंथों के अनुरुप है । हम अपने पाठ-संशोधन के नियमों में कह आये हैं कि प्रस्तुत ग्रंथ में अरिहंत: शब्द अनेकबार आया है और उसकी निरुक्ति भी अरिहननाद अरिहंत: आदि की गई है । संस्कृत व्याकरण के नियमानुसार हमें यह रूप विचारणीय ज्ञात हुआ । अर्ह धातु से बना अर्हत् होता है और उसके एकवचन व बहुवचन के रूप क्रमश: अर्हन् और अर्हन्त: होते हैं । यदि अरि+हन् से कर्तावाचक रूप बनाया जाय तो अरिहन्त होगा जिसके कर्ता एकवचन व बहुवचन रूप अरिहन्ता और अरिहन्तार: होना चाहिये । चूंकि यहां व्युत्पत्ति में अरिहननात् कहा गया है अत: अर्हन् व अर्हन्तः शब्द ग्रहण नहीं किया जा सकता। हमने प्रस्तुत ग्रंथ में अरिहन्ता कर दिया है, किन्तु है यह प्रश्न विचारणीय कि संस्कृत में अरिहन्त: जैसा रूप रखना चाहिये या नहीं। यदि हम हन् धातु से बना हुआ 'अरिहा' शब्द ग्रहण करें और पाणिमि के 'मघवा बहुलम्' सूत्र का इस शब्द पर भी अधिकार चलावें तो बहुवचन में अरिहन्त: हो सकता है । संस्कृत भाषा की प्रगति के अनुसार यह भी असंभव नहीं है कि यह अकारान्त शब्द अर्हत् के प्राकृत रूप अरहंत, अरिहंत, अरुहंत परसे ही संस्कृत में रूढ़ हो गया हो । विद्वानों का मत है कि गोविन्द शब्द संस्कृत के गोपेन्द्र का प्राकृत रूप है । किन्तु पीछे से संस्कृत में भी वह रूढ़ हो गया और उसी की व्युत्पत्ति संस्कृत में दी जाने लगी । उस अवस्था में अरिहन्त: शब्द अकारान्त जैन संस्कृत में रूढ़ माना जा सकता है । वैयाकरणों को इसका विचार करना चाहिये। १ Keith: History of Sans. Lit., P.24
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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