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मंगल-गीत
मंगलमय जीवन हो। सत्यम् शिवम् सुन्दरम् सबके जीवन का दर्शन हो॥ कोई नहीं, पराया, सारी धरती को अपनाएँ । नहीं सताएँ कभी किसी को, सबको गले लगाएँ। शांति, शांति हो, विश्व-शांति हो, प्रगति का सर्जन हो ॥१॥ मधुर रहे व्यवहार हमारा, जो औरों से चाहें। विपदा में भी कभी न छूटे, हमसे सच्ची राहें । सत्य धर्म हो, सत्य विजय हो, सत्य हमारा प्रण हो ॥२॥ जिसका जो अधिकार हो उसको, हम क्यों भला चुराएँ। हम मानव हैं, मानवता का, मन में दीप जलाएँ। कर्मयोग से जो कुछ पाएँ, वही हमारा धन हो ॥३॥ छल-प्रपंच से दूर रहें हम, संग्रह पर अंकुश हो । लोभ-मोह का रोग निवारें, चित्त हमारा वश हो । ऐसा हो सौभाग्य कि हमसे, औरों का पालन हो ॥४॥ जीवन में अनुशासन हो, तन निर्मल, मन निर्मल हो। 'चन्द्र' हमारी जीवन-दृष्टि, रोशन हो, मंगल हो। मंगल हो, मंगल हो सबका, हर घर सुख-साधन हो ॥५॥