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सामान्यकाण्ड: ६] मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
३६७ -श्मध्येऽन्तरन्तरेणान्तरेऽन्तरा ॥ १७४ ॥ २प्रादुराविः प्रकाशे स्याद३भावे व न नो नहि । ४हठे प्रसह्यपमा मास्म वारणेऽस्तमदर्शने ॥ १७५ ।। ७अकामानुमतौ काम स्यादोमां परमं मते । एकच्चिदिष्टपरिप्रश्नेऽ१०वश्य नूनच निश्चये ॥ १७६ ।। १५बहिर्बहिर्भवे १२ह्यःस्यादतीतेऽह्नि श्व १६एष्यति । १४नीचैरल्पे १५महत्युच्चैः १३सत्त्वेऽस्ति १७दुष्ठु निन्दने ॥१७७।। १८ननुच स्याद्विरोधोक्तौ १६पक्षान्तरे तु चेद् यदि ।
१. 'अन्तः (-न्तर ), अन्तरेण, अन्तरे, अन्तरा' इन ४ शब्दोंका अर्थ 'मध्य, बीच' है ॥ . .
. २. 'प्रादुः (-दुस , आविः -विस् ) इन २ शब्दोंका अर्थ 'प्रकट' है।। ३. 'अ, न, नो, नहि' इन ४.शब्दोंका अर्थ 'अभाव' है ॥ ४. 'प्रसय' का अर्थ 'हठसे, बलात्कार से' है ॥ . ५. 'मा, मा स्म' इन २ शब्दोंका अर्थ 'निषेध, मना करना है ।। ६. 'अस्तम्'का अर्थ दिखाई नहीं पड़ना, दर्शनाभाव' हैं । ७. 'कामम' का अर्थ 'अनिच्छा होनेपर बादमें स्वीकार करना है ।। ८. 'ओम, आम, परमम्' इन ३ शब्दोंका अर्थ 'स्वीकार है ।।
६. 'कच्चित्' का अर्थ 'इष्टप्रश्न' है। (यथा-तव कुशलं कञ्चित् ? अर्थात् तुम्हारा कुशल तो है )।
१०. 'अवश्यम्, नूनम्' इन २ शब्दोंका अर्थ 'निश्चय, अवश्य' है ॥ ११. 'बहिः (-हिस )का अर्थ 'बाहर' है ।। १२. 'यः (बस् )का अर्थ 'बीता हुआ कल वाला दिन' है ॥ १३. 'श्वः (श्वस ) का अर्थ 'पानेवाला फलका दिन' है ।। १४. 'नीचैः (-चैस ) का अर्थ 'थोड़ा, नीचे' है ।। १५. 'उच्चैः, (-च्चैस ) का अर्थ 'बड़ा; ऊपर' है ॥ १६. 'अस्ति'का अर्थ 'वर्तमान रहना' है ।। १७. 'दुष्ठु'का अर्थ 'निन्दा करना' है ॥ १८. 'ननुच'का अर्थ 'विरोधकथन' है । १६. 'चेत्, यदि' इन २ शब्दों का अर्थ 'पक्षान्तर ( यदि, अगर)' है ॥