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तिर्यक काण्डः ४] 'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः .
१कच्छपः कमठः कूमः क्रोडपादश्चतुर्गतिः । पञ्चाङ्गगुप्तदौलेयौ जीवथः २कच्छपी दुली ।। ४१६ ॥ ३मण्डूके हरिशालूरप्लवभेकप्लवङ्गमाः। वर्षाभूः प्लवगः शालुरजिह्वव्यङ्गदर्दुराः ॥ ४२० ॥ ४स्थले नरादयो ये तु ते जले जलपूर्वकाः। प्रअण्डजाः पक्षिसर्पाद्याः ६पोतजाः कुञ्जरादयः ॥ ४२१॥ ७रसजा मद्यकीटाद्या नृगवाद्या जरायुजाः। यूकाद्याः स्वेदजा १०मत्स्यादयःसम्मूच्र्छनोद्भवाः॥४२२॥ ११खञ्जनास्तूद्भिदो
१. 'कछुए के ८ नाम है-कच्छपः, कमठः, कूर्मः, क्रोडपाद:, चतुर्गतिः, पञ्चाङ्गगुप्तः, दौलेयः, जीवथः, (+उहारः)॥
२. 'मादा (स्त्री-जातीय कछुआ, कछुई )के २ नाम हैं-कच्छपी, दुली ॥
३. 'मेंढक, बैंग के १२ नाम है-मण्डूकः, हरिः, शालूरः, प्लवः, भेकः, प्लवनमः, वर्षाभूः (पु), प्लवगः, शालुः, अजिङ्गः, व्याः, दर्दुरः ।।
४. स्थलचारी बितने नर श्रादि (स्थलनरः, स्थलहस्ती (स्तिन ),... जीव है, वे पूर्व में (स्थल' शब्दके स्थानमें ) जल' शब्द जोड़नेसे 'जलनरः, बलहस्ती (-स्तिन् ), जलतुरङ्गः,...'उन्हीं जलचर बीवोंके पर्याय हो जाते
५. 'पक्षी, सांप, श्रादि ('आदि से 'मछली, इत्यादि) जीव 'अण्डवाः' अर्थात् अण्डेसे उत्पन्न होनेवाले हैं ।
६ 'हाथी आदि ('आदि से साही, इत्यादि जीव 'पोतजाः' अर्थात् जरायुरहित गर्म से उत्पन्न होनेवाले हैं।
७. मद्यके कीड़े श्रादि ('आदि से घी, इत्तुरस, इत्यादि ) जीव 'सजा' अर्थात् 'रस'से उत्पन्न होनेवाले हैं।..
८. 'मनुष्य, गौ, श्रादि ('आदि से भैंसा, सूअर, अज इत्यादि ) जीव 'जरायुजाः' अर्थात् गर्भसे उत्पन्न होनेवाले हैं । ___६. 'जू, श्रादि ('पादि' से खटमल, मच्छड़, इत्यादि) जीव 'स्वेदजाः' अर्थात् पसीनेसे उत्पन्न होनेवाले हैं।
१०. मछली आदि ('श्रादि से सांप इत्यादि ) जीव 'संमूर्छनोद्भवाः' अर्थात् 'संमूर्छन' ( सघन होने, अधिक बढ़ने से ) उत्पन्न होने वाले हैं।
११. 'खञ्जन' इत्यादि ('आदि से टिड्डो, फतिंगे, इत्यादि) जीव 'उद्भिदः' (-भिद् ) अर्थात् पृथ्वी के भीतरसे उत्पन्न होने वाले हैं ।