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तिर्यक्काण्डः ४ मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
श्वलितं पुनः। अग्रकायसमुल्लासात्कुञ्चितास्यं नतत्रिकम् ।। ३१३ ।। २प्लुतन्तु. लचनं पक्षिमृगगत्यनुहारकम् ।। ३दत्ते जितं रेचितं स्यान्मध्यवेगेन या गतिः ।। ३१४॥ . ४उत्ते रितमुपकण्ठमास्कन्दितमित्यपि । उत्प्लुत्योत्प्लुत्य गमनं कोपादिवाखिलैः पदैः ।। ३१५ ॥
आश्वीनोऽध्या स योऽश्वेन दिनेनैकेन गम्यते । ६कवी खलीनं कविका कवियं मुखयन्त्रणम् ।। ३१६ ॥ पश्चाङ्गी वक्त्रप? तु तलिका तलसारकम् । दामाञ्चनं पादपाशः प्रक्षरं प्रखरः समौ ।। ३१७ ॥ १०चर्मदण्डे कशा ११रश्मौ वल्गाऽवक्षेपणी कुशा।
'दुलकी चाल'के ४ नाम हैं-धौरितकम्, धौर्यम्, धोरणम्, धोरितम् (+ धारणम् )॥
१. 'शरीरके अगले (पूर्वार्द्ध ) भागको बढ़ाकर शिरको संकुचितकर त्रिकको झुकाये हुए घोड़ेकी गति अर्थात् 'सरपट' चाल'का १ नाम हैचल्गितम् ॥
२. 'पक्षी तथा हरिनके समान घोड़ेकी चाल. अर्थात् 'चौकड़ी (छलांग) मारने के २ नाम हैं-प्लुतम्, लवनम् ॥ .. ३. 'घोड़ेकी मध्यम चाल'के २ नाम हैं- उत्तेजितम्, रेचितम् ।।
४ 'ऋद्ध-से घोड़े के चारो पैरोंसे उछल-उछलकर चलने के ३ नाम हैंउत्तेरितम्, उपकगठम्, श्रास्कन्दितकम् (+आस्कन्दितम् )॥ ..
५. 'घोड़ेके एकदिनमें चलने योग्य मार्ग'का १ नाम है-आश्वीनः ॥
६. 'लगाम के ६ नाम हैं-कवी, खलीनम् (पु न ), कविका, कवियम् (पु न ), मुखयन्त्रणम् , पञ्चाङ्गी ॥ .
७. 'घोड़े के मुखपर लगाये जानेवाले चमड़े के पट्टे के २ नाम हैंतलिका, तलसारकम् ।। ।
८. 'घोड़ेके पैर बांधनेकी रस्सी, छान या पछाड़ी के २ नाम हैंदामाञ्चनम्, पादपाशः ॥
ह. 'घोड़ेको सज्जित करने के २ नाम हैं-प्रक्षरम्, प्रखरः (पु+न)॥ १०. 'चमड़ेकी चाबुक या कोड़े'के २ नाम हैं-चर्मदण्डः, कशा ।।
११. 'घोड़ेकी रास, लगामकी रस्सी'के ४ नाम हैं-रश्मिः (स्त्री), वल्गा (+वल्गः, वागा ), अवक्षेपणी, कुशा ।।