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________________ तिर्यकाण्ड: ४ ] 'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः २६४ १पूर्वस्तु जङ्घादिदेशो गात्रं स्यात् २पश्चिमोऽपरा ॥ २६४ ॥ ३बिन्दुजालं पुनः पद्म ४शृङ्खलो निगडोऽन्दुकः । हिजीरश्च पादपाशो . पूवारिस्तु गजबन्धभूः ॥ २९५ ॥ ६त्रिपदी गात्रयोर्बन्ध एकस्मिन्नपरेऽपि च । ७तोत्रं वेणुकदमालानं बन्धस्तम्भोंहऽङ्कशः मृणिः ॥ २६६ ॥ १०अपष्ठं त्वङ्कशस्याग्रं ११यातमङ्क शवारणम् । १२निषादिनां पादकर्म यतं १३वीतन्तु तद्यम् ॥ २७ ॥ १४कक्ष्या दूष्या वरत्रा स्यात् १५कण्ठबन्धः कलापकः। १. 'हाथीके पूर्व (श्रागेवाले ) भाग' (पैर, जंघा आदि ) का १ नाम है-गात्रम् ॥ २. 'हाथीके पीछेवाले भाग'का १ नाम है-अपरा (स्त्री न ।+ भवरा)॥ .. ३. 'युवावस्थाप्राप्त हाथीके मुखपर लाल रंगके पद्माकार बिन्दु-समूह'का १ नाम है-पद्मम् ।। ४. 'साँकल-हाथी बांधनेवाली लोहेकी बेड़ी'के ५ नाम हैं-शृङ्खला (त्रि ), निगड: (+ निगल: ), अन्दुकः (+ अन्दूः, स्त्री), हिजीरः. (३ पु न), पादपाशः ॥ . . ___५. 'हाथी बांधनेकी भूमि'का १ नाम है.. वारिः (स्त्री वारी)। ६. 'हाथीने प्रागेवाले दोनों पैर तथा पीछेवाले एक पैरको बांधने का १ नाम है-त्रिपदी॥ ७. 'हाथीको हांकनेके लिए बनी हुई बांसकी छोटी छड़ी'के २ नाम है-तोत्रम्, वेणुकम् ॥ ८. 'हाथी बांधनेके खूटे'का १ नाम है-श्रालानम् ॥ ६. 'अङ्कश'के २ नाम है-अङ्क शः (पु न ), सृणिः (पु स्त्री)॥ १०. 'अंकुशके अग्रभाग'का १ नाम है-अपष्ठम् ॥ ११. 'अङ्कुश मारकर हाथोके दुर्व्यवहारको रोकने'का १ नाम है—यातम् (+घातम् )। १२. 'हाथीवानके दोनों पैरके अगूंठेसे हाथीको हाँकने'का १ नाम हैयतम् ॥ . १३. 'पूर्वोक्त दोनों कार्य ('यात' तथा 'यत' )का १ नाम है-वीतम् ।। २४. 'हाथी कसनेके रस्से के ३ नाम हैं-कक्ष्या, दूष्या, वरत्रा ॥ १५. 'कण्ठबन्धन'के २ नाम हैं-कण्ठबन्धः, कलापकः ।
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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