________________
तिर्यक्काण्ड : ४ ]
२प्रणाली जलमार्गे३ऽथ पानं कुल्या च सारणिः । ४सिकता बालुका ५ ५ बिन्दौ ६ जम्बाले चिकिलो प्रङ्कः कर्दमच शादो ७हिरण्यबाहुस्तु शोणो नदे भिद्य उद्धयः सरस्वांश्च द्रहोऽगाधजलो हृदः ।
१० कूपः स्यादुदपानोऽन्धुः प्रहि ११र्नेमी तु तन्त्रिका ।। १५७ ॥ १२ नान्दीमुखो नान्दीपटो वीनाहो मुखबन्धने । निपानं स्यादुपकूपे --
१३ श्राहावस्तु
'मणिप्रभा' व्याख्योपेतः
खारणि: ( स्त्री ) ।।
―
- १ कूपकास्तु विदारकाः ॥ १५४ ॥
पृषत्पृषतविप्रुषः ॥ १५५ ॥ निषद्वरः । पुनर्वहः ॥ १५६ ॥
१. 'पानी इकट्ठा होनेके लिए सूखी हुई-सी नदी में खोदे गये गढ़ों' के २ नाम हैं— कूपकाः, विदारकाः ॥
-
२. 'नाली'का १ नाम है - प्रणाली (त्रि ) |
३. ' नहर, मानवकृत छोटी नदी के ३ नाम
२६७
८. 'नद' के ५ नाम हैं- नदः
हैं - पानम्, कुल्या,
शेषश्चात्र - नीका च सारणौ ।
४. 'बालू, रेत के २ नाम हैं - सिकताः (स्त्री, नि ब० वालुकाः ।।
५. बूँद के ४ नाम हैं - बिन्दु : (पु, पृषत् (न), पृषतः, विप्रुट (-प्रुष्) ।।
६. 'कीचड़, पङ्क' के ६ नाम हैं- - जम्बाल: ( पु न ), चिकिलः, पः (पुन), कर्दम, निषद्वरः, शाद: ( + विस्कल्लः ) ॥
७. 'सोन; शोणभद्र' के २ नाम हैं - हिरण्यबाहुः, शोणः ॥
व० ),
वहः, भिद्यः, उदुद्भ्यः, सरस्वान्
( - श्वन् ) ॥
६. 'अथाह बलवाले. नद' के ३ नाम है— द्रहः, श्रगाधजलः, हृदः ॥
१०. 'कूप, कुआं, इनारा' के ४ नाम हैं- कूपः ( पु न ), उदपान:: ( पु न ), अन्धुः, प्रहि: ( २ ) ॥
११. 'कूँ श्राके ऊपर रस्सी बांधने के लिए काष्ठ श्रादिकी बनी हुई चरखी, या ऊपर रखी हुई लकड़ी श्रादि' के २ नाम है— नेमी ( + नेमिः स्त्री), तन्त्रिका ॥ १२. ' कुंए के जगत' के ३ नाम है - नान्दीमुखः, नान्दीपटः, वीनाहः( पु नं ) ।
.
१३. 'चरन' ( पशुओं के पानी पीनेके लिए कुंएके पास ईंट आदि पत्थर आदि से बनाये गये होल ) के २ नाम है - श्राहाव:, निपानम् ( न पु ) ॥