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अभिधानचिन्तामणिः
-१चन्द्रभागा तु चन्द्रका। २वासिष्ठी गोमती तुल्ये ३ब्रह्मपुत्री सरस्वती ।। १५१ ॥ ४विपाड़ विपाशाऽऽर्जुनी तु बाहुदा सैताहिनी। वैतरणी नरकस्वा स्रोतोऽम्भःसरणं स्वतः ॥ १५२ ॥ प्रवाहः पुनरोधः स्याद्वेणी धारा रयश्च सः। घट्टस्तीर्थोऽवतारे१०ऽम्बुवृद्धौ पूरः प्लवोऽपि च ।। १५३ ॥ . १५पुटभेदास्तु वक्राणि १२भ्रमास्तु जलनिर्गमाः। १३परीवाहा जलोच्छवासाः
विमर्श-पार्वती-विवाहके समय हाथसे गिरे हुए कन्यादान-जलसे यह नदी निकली है, ऐसा पुराणों में लिखा है । यह बङ्गालकी नदी है।
१. चन्द्रभागा नदी के २ नाम हैं-चन्द्रभागा (+चान्द्रभागा ), चन्द्रका॥
२. 'गोमती नदी के २ नाम हैं-वासिष्ठी (+गौतमी), गोमती॥ . ३. 'सरस्वती नदी'के २ नाम है-ब्रह्मपुत्री, सरस्वती ॥ ४. 'विपाशा नदी के २ नाम है-विपाट (-पाश , स्त्री), विपाशा ।। ५. 'बाहुदा नदी के ३ नाम है-आर्जुनी, बाहुदा, सैतवाहिनी ॥ .
६. 'वैतरणी नदी' के २ नाम हैं-वैतरणी, . नरफस्था। (यह नरक में स्थित है)। शेषश्चात्र-मरूदला तु मुरला सुरंबेला सुनन्दिनी।
चर्मण्वती रतिनदी संभेदः सिन्धुसङ्गमः ॥ ७. 'सोता (स्वतः पानीके बहने )का १ नाम है-स्रोतः (-तस् , न)॥
८. 'प्रवाह, धारा के ५ नाम है-प्रवाहः ओघः, वेणी, धारा, रयः ।।।
६. 'घाट ( नदीमें उतरनेके मार्ग) के ३ नाम हैं-घट्टः, तीर्थः (पु न), अवतारः॥
१.. 'पूर, पानी बढ़ना'के २ नाम हैं-पूरः, प्लवः ॥
११. 'पानीकी भंवरी, जलावर्त'के २ नाम है-पुटभेदाः, वक्राणि (+चंक्राणि)।
विमर्श-कोई कोई प्राचार्य टेढ़ी नदीका, कोई भूमि के भीतरसे पानी की धारा निकलनेका पर्याय इन दोनों शब्दोंको मानते हैं। .
१२. 'पानी निकलने के मार्ग'का १ नाम है-भ्रमाः॥
१३. 'पृथ्वीके नीचेसे ऊपरकी ओर तीव्र धारा निकलने के २ नाम हैपरीवाहाः, बलोच्छवासाः ॥