SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 273
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२८ अभिधानचिन्तामणिः १ निर्णेजकस्तु रजकः २पादुकाकृत्तु चर्मकृत् । ३ उपानत् पादुका पादूः पन्नद्धा पादरक्षणम् ।। ५७८ || प्राणहिता४ऽनुपदीना त्वाबद्धाऽनुपदं हि या । ५नद्धी वद्धी वरत्रा स्या६दारा चर्मप्रभेदिका ॥ ५७६ ॥ ७कुलालः स्यात् कुम्भकारो दण्डभृच्चक्रजीवकः । शाणाजीवः शस्त्रमार्जी भ्रमासक्तोऽसिधावकः ॥ ५८० ॥ धूसरश्चाक्रिकस्तैली स्यात् १० पिण्याकखलौ समौ । ११रथकृत् स्थपतिस्त्वष्टा काष्ठतट् तक्षवर्द्धकी ॥ ५८१ ॥ १२ ग्रामायत्तो ग्रामतक्ष: १. 'धोबी' के २ नाम हैं - निर्णेजक : ( + धावक : ), रजकः ॥ २. 'चमार' के २ नाम हैं - पादुकाकृत्, चर्मकृत् ॥ ३. 'बूते' के ६ नाम हैं-उपानत् ( - नह; स्त्री), पांदुका, पाहू: (स्त्री), पन्नद्धा, पादरक्षणम्, ( + प्रादत्राणम् ), प्राणहिता ॥ शेषश्चात्र -- पादुकायां पादरथी पादजङ्गः पदत्वरा । पादवीथी च पेशी च पानपीठी पदायता || ४. 'मोजा (पैतात्रा ) या -- पूरा जूता ( बूट ) ' का १ नाम पदीना ॥ ५. 'चमड़े की रस्सी' के ३ नाम हैं-नदूधी, ६. 'चमड़ा सीने या काटनेके औजार' के २ प्रभेदिका ॥। ७. ' कुम्हार' के ४ नाम हैं - कुलाल:, कुम्भकारः, जीवकः ॥ ८. 'सान चढ़ानेवाले' के ४ नाम है - शाणाजीवः, शस्त्रमार्जः, भ्रमासक्तः, असिधावकः || ६. 'तेली' के ३ नाम हैं— धूसर, चाक्रिकः, तैली (-लिन् । + तिलन्तुदः ) । १०. 'खल्ली ( तेल निकालने के बाद बची हुई सीठी ) ' के २ नाम हैंपिण्याकः, खलः ( २ पुन ) ॥ ११. बढ़ई के ६ नाम हैं - रथकृत्, ( + रथकार: ), स्थपतिः स्वष्टा (-"टृ ), काष्टतट् (-तच् ), तक्षा (-क्षन् ), वर्द्धकिः ।। १२. 'गांव बढ़ई ( जो किसानों के अधीन रहकर हल आदिका कार्य करता है, उस साधारण बढ़ई' का १ नाम है— ग्रामतः ॥ -अनु. दूधी ( २ स्त्री ), वरत्रा ॥ नाम हैं- आरा, चर्म दण्डभृत्, चक्र
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy