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________________ १६४ अभिधानचिन्तामणिः - १ त्सरुरस्य मुष्टि: ।। ४४६ ॥ २प्रत्याकारः परीवारः कोशः खड्गपिधानकम् । ३ अडुनं फलकं चर्म खेटकाSSवरणस्फुराः || ४४७ ।। ४स्य मुष्टिस्तु संग्राहः ५क्षुरी छुरी कृपाणिका । शस्त्र्यसेर्धेनुपुत्र्यौ च पत्रपालस्तु साऽऽयता ॥ ४४८ ॥ ७दण्डो यष्टिश्च लगुडः पस्यादीली करवालिका । भिन्दिपाले सृगः १० कुन्ते प्रासो धर्मपालोऽक्षरो देवस्तीक्ष्णकर्मा दुरासदः ।। प्रसङ्गो रुद्रतनयो मनुज्येष्ठः शिवङ्करः । करपालो विशसनस्तीक्ष्णधारो विषाग्रजः ॥ धर्मप्रचारो धाराङ्गो धाराधरकरालिको 1. चन्द्रभासश्च शस्त्रः । १. 'तलवार की मूंठ' का . १ नाम है - रस: ( पु । यहां तलवारको उपलक्षण मानकर कटार, छड़ी आदिकी मूंठको भी ' त्सरुः' कहते हैं ) || २. 'तलवार ( कटार आदि ) की म्यान' के ४ नाम हैं - प्रत्याकारः, परीवारः, कोश (त्रि ), खड्गपिधानकम् ( + खड्गपिधानम् ) ॥ ३. ‘ढाल’के ६ नाम हैं— अड्डनम्, फलकम् ( + फरकम् । पुन ), वर्म (-न्), खेटकम् ? पुन ), आवरणम्, स्फुर : (+ स्फुरकः ) ॥ ४. ' ढालकी मूंठ' का १ नाम है - संग्राहः ।। ५. 'छुरी' के ६ नाम है-तुरी ( + क्षुरिका ), ( + कृपाणी ), शस्त्री, असिधेनुः, असिपुत्री ) ॥ छुरी, कृपाणिका शेषश्चात्र - अथ क्षुर्यस्त्री कोशशायिका । पत्रञ्च धेनुका । ६. 'बड़ी छुरी, कटार'का १ नाम है - पत्रपालः ॥ शेषश्चात्र – पत्रपाले तु हुलमातृका । कुट्टन्ती पत्रफला च । ७. 'दण्डा, छड़ी, लाठी ' का क्रमशः १-२ नाम है - दण्ड: (पुन), य: ( पु स्त्री ), लगुडः ॥ ८. 'एक तरफ धारवाली छोटी तलवार, या गुप्ती' के २ नाम हैंईली, करवालिका ( + तरवालिका ) ॥ ६. ' फेंक कर चलाये जानेवाला बड़ा डण्डा लगा हुआ एक प्रकारका बरछा या भाला' के २ नाम हैं - भिन्दिपालः, सृगः ॥ १०. 'भाला ( हाथमें पकड़े हुए ही चलाये जानेवाला फल लगा हुआ अस्त्र - विशेष' के २ नाम हैं—कुन्तः, प्रासः ॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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