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________________ 'मणिप्रभा' व्याख्योपेतः काण्ड : ३ ] —१युधं पुनः । हेतिः प्रहरणं शस्त्रमस्त्रं ( स्यात् * ) २तच्चतुर्विधम् ॥ ४३७ ॥ मक्तं द्विधा पाणियन्त्रमुक्तं शक्तिशरादिकम् । अमुक्तं शस्त्रिकादि स्याद् यष्टधाद्यं तु द्वयात्मकम् ॥ ४३८ ॥ ३धनुश्चापोऽस्त्रमिष्वासः कोदण्डं धन्व कार्मुकम् । दुणाssसौ ४ लस्तकोऽस्यान्तरपूर्यं त्वर्तिरटन्यपि ॥ ४३६ ॥ ६मौर्वी जीवा गुणो गव्या शिक्षा बाणासनं द्रुणा । शिञ्जिनी ज्या च गोधा तु तलं ज्याघातवारणम् ॥ ४४० ॥ स्थानान्यालीढवैशाख प्रत्यालीढानि मण्डलम् । समपादं च १६१ १. 'श्रायुध, हथियार के ५ नाम हैं - श्रायुधम् ( पु न ), हेतिः, प्रहरणम्, शस्त्रम् ( न स्त्री ), अस्त्रम् ॥ २. ' उस श्रायुध' के ४ भेद हैं- १ - हाथ से छोड़े जानेवाली शक्ति (ब) आदि, २ – यन्त्र ( धनुष श्रादि ) से छोड़े जानेवाले बाण आदि, ३ – बिना फेके चलाये जानेवाले छुरा, कटार, तलवार आदि, ४– - फेंककर या हाथ से पकड़े हुए चलाये जाने वाली यष्टि ( छड़ी ) लाठी आदि । इस प्रकार प्रथम दो प्रकार के आयुधका नाम 'मुक्तम्' ( १ - पाणिमुक्तम्, २ यन्त्रमुक्तम् ), तृतीय प्रकार के आयुधका नाम 'श्रमुक्तम्' और ४ चतुर्थ प्रकारके आयुधका नाम 'मुक्तामुक्तम्' है । इस प्रकार आयुध ४ प्रकारके होते हैं | ३. ‘धनुष्, चाप' के ६ नाम है- धनुः पुनं । + धनुः, स्त्री), चाप: ( पु न ), श्रस्त्रम् कोदण्डम् ( २ पु नं ), धन्व (वन्, न ), (पुन) ॥ ४. ‘धनुष्के मध्यभाग ( जिसे मूठसे पकड़ा जाता है, उस भाग ) 'का १ नाम है- - लस्तकः ॥ ', ५. 'धनुष्के' अग्रभाग ( किनारेवाले भाग)' के २ नाम हैं - श्रर्तिः, अटनी ॥ ६. 'धनुष्की डोरी, तांत' के ६ नाम है – मौर्वी, जीवा, गुणः, गव्या (स्त्री न ), शिञ्जा, बाणासनम्, दुणा, शिञ्जिनी, ज्या ॥ ७. 'धनुष्की डोरीके श्राघातसे रक्षा के लिए कलाईपर बांधे जानेवाले चमड़े आदिके पट्ट' के २ नाम हैं- गोधा, तलम् (+तला स्त्री ) ॥ ८. ‘युद्ध के आसन-विशेषो' का पृथक-पृथक १ - १ नाम है - श्रालीम्, वैशाखम् (+ पु), प्रत्यालीढम् मण्डलम्, समपादम् ( सब न ) ॥ ऋकोष्ठान्तर्गतश्शब्दश्छन्दोभङ्गदोषवारणाय भया योजितः । (-नुष्, पु न । + धनुः–नु, इष्वासः ( + शरासनम् ), कार्मुकम्, द्रुणम्, आस:
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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