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अभिधानचिन्तामणिः श्वप्ता तु जनकस्तातो बीजी जनयिता पिता ॥ २२० ॥ रपितामहस्त्वस्य पिता ३तत्पिता प्रपितामहः । ४मातुर्मातामहाद्येवं ५माताऽम्बा जननी प्रसूः ।। २२१ ॥ सवित्री जनयित्री च ६कृमिला तु बहुप्रसूः । ७धात्री तु स्यादुपमाता वीरमाता तु वीरसूः ॥ २२२ ॥ श्वभूर्माता पतिपत्न्योः १०श्वशुरस्तु तयोः पिता। ११पितरस्तु पितुर्वेश्या १२मातुर्मातामहाः कुले ।। २२३ ।। १३पितरौ मातापितरौ मातरपितरौ पिता च माता च । १४श्वश्रूश्वशुरौ श्वशुरौ १५पुत्रौ पुत्रश्च दुहिता च ।। २२४ ।।
१. 'पिता, बाप'के ६ नाम हैं-वता (-तृ ), जनकः, तातः, बीजी (- जिन् ), जनयिता, पिता ( २ )॥ ~
शेषश्चात्र-वप्यो जनित्रो रेतोधास्ताते । २. 'दादा ( पिताके पिता)'का १ नाम है-पितामहः॥ . ३. 'परदादा (पितामहके पिता)का १ नाम है-प्रपितामहः॥
४. 'नाना'का १ नाम है-'मातामहः' और इसी प्रकार 'परनानाका १ नाम है-'प्रमातामहः' ।।।
५. 'माता'के ६ नाम हैं-माता (-४), अम्बा, जननी, प्रवः, मुवित्री, जनयित्री ।।
शेषश्चात्र-आनी तु मातरि ।
६. 'बहुत सन्तान उत्पन्न करनेवाली माता'का १ नाम है-कृमिला (+बहुप्रसूः)॥
७. 'धाई, उपमाता के २ नाम हैं-धात्री, उपमाता ( - तृ)। ८. 'वीरमाता'का १ नाम है-(+वीरमाता, - तु), वीरसूः ।। ६. 'सास ( पति या पत्नीकी माता )का १ नाम है-श्वंभः ॥ १०. 'श्वशुर ( पति या पत्नीका पिता )का १ नाम है-श्वशुरः ।। ११. 'पितरों ( पिताके वंशके पुरुखों )का १ नाम है-पितरः (-त)। १२. 'माताके वंश के पुरुखों का १ नाम है-मातामहाः ॥'
विमर्श-उक्त दोनों पदों ( 'पितरः, मातामहाः' ) में बहुवचनका प्रयोग "पुरुखानोंके बहुत होनेकी अपेक्षासे किया गया है)।
१३. 'एक साथमें कहे गये माता-पिता के ४ नाम है-पितरौ, मातापितरौ, मातरापेतरौ (३ - तु, नि. द्विव० )॥
१४. 'एक साथमें कहे गये सास-श्वशुर'के २ नाम है-श्वभश्वशुरो, श्वशुरौ (२ नि. द्विव० )॥
१५. 'एक साथ कहे गये पुत्र-पुत्री'का १ नाम है-पुत्रौ (नि. द्विव.)।