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________________ ( १२) चौदहवीं शताब्दी में मेदिनिकर ने अनेकार्थ शब्दकोश की रचना की है। इस शब्दकोश का प्रमाण अनेक संस्कृत टीकाकारों ने 'इति मेदिनी' के रूप में उपस्थित किया है। हरिहर के मन्त्री इसगपद दण्डाधिनाथ ने नानाथरत्नमाला कोश लिखा है। इसी शताब्दी में श्रीधरसेन ने विश्वलोचन कोश की रचना की है । इस कोश का दूसरा नाम मुक्तावली कोश भी है। कोश की प्रशस्ति के अनुसार इनके गुरु का नाम मुनिसेन था। इस कोश में २४५३ श्लोक हैं । स्वर वर्ण और ककार आदि के वर्णक्रम से शब्दों का संकलन किया गया है। संस्कृत में अनेक नानार्थक कोशों के रहने पर भी इतना बड़ा और इतने अधिक अर्थों को बतलाने वाला दूसरा कोष नहीं है। सत्रहवीं शती में केशव दैवज्ञ ने कल्पद्रुम और अप्पय दीक्षित ने 'नामसंग्रहमाला' नामक कोश ग्रन्थ लिखे हैं। ज्योतिष के फलित तथा गणित दोनों विषयों के शब्दों को लेकर वेदांगराय ने 'पारंसी प्रकाश' नाम का कोश लिखा है। इनके अतिरिक्त महिप का 'अनेकार्थतिलक', श्रीमल्लभट्ट का 'आख्यातचन्द्रिका', महादेव वेदान्ती का 'अनादिकोश', सौरभी का 'एकार्थ नाममालायक्षरनाममाला कोश', राघव कवि का 'कोशावतंस', भोज का 'नाममाला कोश', शाहजी का 'शब्दरत्नसमुच्चय', कर्णपूर का 'संस्कृत-पारसीकप्रकाश' एवं शिवदत्त का 'विश्वकोश' अच्छे कोशग्रन्थ हैं। अभिधानचिन्तामणि के रचयिता आचार्य हेमचन्द्र ___ यह पहले ही लिखा गया है कि संस्कृत कोश-साहित्य के रचयिता हेमचन्द्र बारहवीं शताब्दी के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् हैं। वे असाधारण प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति थे। इनका विशाल व्यक्तित्व वट वृक्ष के समान प्रसरणशील था। इन्होंने अपने पाण्डित्य की प्रखरकिरणों से साहित्य, संस्कृति और इतिहास के विभिन्न क्षेत्रों को आलोकित किया है। बारहवीं शती में गुजरात की सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक आदि सभी परम्पराओं को इन्होंने एक नवीन दृष्टिकोण प्रदान किया है। गुजरात की प्रत्येक गतिविधि की भव्यता में उनका विशाल हृदय स्पन्दित है । ए० बी० लठे ने लिखा है-"हेमचन्द्राचार्य ने अमुक जाति या समुदाय के लिए अपना जीवन व्यतीत नहीं किया; उनकी कई कृतियाँ तो भारतीय साहित्य में महत्व का स्थान रखती हैं । वे केवल पुरातन पद्धति के अनुयायी नहीं थे। उनके जीवन के साथ तत्कालीन गुजरात का इतिहास गुंथा हुआ है। यद्यपि हेमचन्द्र विश्वजनीन और सार्व
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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