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________________ ८० अभिधानचिन्तामणिः १ततं वीणाप्रभृतिकं २तालप्रभृतिकं घनम् ॥ २०० ॥ ३ वंशादिकन्तु शुषिर४ मानद्धं मुरजादिकम् । ५वीणा पुनर्घोषवती विपञ्ची कण्ठकूणिका ॥ २०१ ॥ वल्लकी ६साऽथ तन्त्रीभिः सप्तभिः परिवादिनी । ७ शिवस्य वीणाऽनालम्बी सरस्वत्यास्तु कच्छपी ॥ २०२ ॥ नारदस्य तु महती १० गणानान्तु प्रभावती । ११ विश्वावसोस्तु बृहती १३चण्डालानान्तु कटोलवीरणा चाण्डालिका च सा । १२ तुम्बुरोस्तु कलावती ॥ २०३ ॥ १. 'वीणा' आदि ( 'आदि' शब्द से - "सैरन्ध्री, रावणहस्त, " का संग्रह है ) तारसे बजनेवाले बाजाओं' का १ नाम है किन्नर, 'ततम् ' ॥ २. 'ताल आदि ( घरी, घंटा, झांझ आदि ) कांसे के बने हुए बाजाओ' का १ नाम है - 'घनम्' ॥ ३. 'वंशी आदि ( 'आदि' शब्द से - " नालिका, नलक, · संग्रह है ) छिद्र वाले बाजाका १ नाम है - शुषिरम् ॥ ४. 'मुरज आदि ( 'आदि' शब्द से ढोल, नगाड़ा, पखावज, तबला,' ... " का संग्रह है ) चमड़े से मढ़े हुए बाजाश्रों का १ नाम हैआनद्धम् (+ अवनद्धम् ) । ( इस प्रकार ' बाजाश्रों' के ४ भेद हैं- ततम्, घनम्, शुषिरम् और श्रानद्धम् ) ॥ ५. 'वीणा' के ५ नाम हैं- वीणा, घोषवती, विपञ्ची, कण्ठकूणिका, वल्लकी ॥ ६. 'सात तारोंसे बजनेवाली वीणा ( सितार )' का १ नाम हैपरिवादिनी ॥ ७. 'शिवजीकी वीणा' का १ नाम है- श्रनालम्बी ॥ ८. 'सरस्वती देवीकी वीणा' का १ नाम है— कच्छपी ॥ ६. 'नारदजीकी बीणा'का १ नाम है - महती ।। १०. 'गणोंकी वीणा' का १ नाम है -- प्रभावती ॥ ११. 'विश्वावसुकी वीणा' का १ नाम है - बृहती ॥ १२. 'तुम्बुरुकी वीणा' का १ नाम है - कलावती ॥ १३. ‘चण्डालोंकी वीणा' के २ नाम हैं--कटोलवीणा, चाण्डालिका ॥ . शेषश्चात्र -- चण्डालानां तु वल्लकी । काण्डवीणा कुवीणा च डक्कारी किन्नरी तथा । सारिका खुङ्खणी च । का
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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