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अभिधानचिन्तामणिः
१ततं वीणाप्रभृतिकं २तालप्रभृतिकं घनम् ॥ २०० ॥ ३ वंशादिकन्तु शुषिर४ मानद्धं मुरजादिकम् । ५वीणा पुनर्घोषवती विपञ्ची कण्ठकूणिका ॥ २०१ ॥ वल्लकी ६साऽथ तन्त्रीभिः सप्तभिः परिवादिनी । ७ शिवस्य वीणाऽनालम्बी सरस्वत्यास्तु कच्छपी ॥ २०२ ॥ नारदस्य तु महती १० गणानान्तु प्रभावती । ११ विश्वावसोस्तु बृहती १३चण्डालानान्तु कटोलवीरणा चाण्डालिका च सा ।
१२ तुम्बुरोस्तु कलावती ॥ २०३ ॥
१. 'वीणा' आदि ( 'आदि' शब्द से - "सैरन्ध्री,
रावणहस्त,
" का संग्रह है ) तारसे बजनेवाले बाजाओं' का १ नाम है
किन्नर,
'ततम् ' ॥
२. 'ताल आदि ( घरी, घंटा, झांझ आदि ) कांसे के बने हुए बाजाओ' का १ नाम है - 'घनम्' ॥
३. 'वंशी आदि ( 'आदि' शब्द से - " नालिका, नलक,
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संग्रह है ) छिद्र वाले बाजाका १ नाम है - शुषिरम् ॥
४. 'मुरज आदि ( 'आदि' शब्द से ढोल, नगाड़ा, पखावज, तबला,' ... " का संग्रह है ) चमड़े से मढ़े हुए बाजाश्रों का १ नाम हैआनद्धम् (+ अवनद्धम् ) । ( इस प्रकार ' बाजाश्रों' के ४ भेद हैं- ततम्, घनम्, शुषिरम् और श्रानद्धम् ) ॥
५. 'वीणा' के ५ नाम हैं- वीणा, घोषवती, विपञ्ची, कण्ठकूणिका, वल्लकी ॥
६. 'सात तारोंसे बजनेवाली वीणा ( सितार )' का १ नाम हैपरिवादिनी ॥
७. 'शिवजीकी वीणा' का १ नाम है- श्रनालम्बी ॥
८. 'सरस्वती देवीकी वीणा' का १ नाम है— कच्छपी ॥
६. 'नारदजीकी बीणा'का १ नाम है - महती ।। १०. 'गणोंकी वीणा' का १ नाम है -- प्रभावती ॥ ११. 'विश्वावसुकी वीणा' का १ नाम है - बृहती ॥
१२. 'तुम्बुरुकी वीणा' का १ नाम है - कलावती ॥
१३. ‘चण्डालोंकी वीणा' के २ नाम हैं--कटोलवीणा, चाण्डालिका ॥ .
शेषश्चात्र -- चण्डालानां तु वल्लकी ।
काण्डवीणा कुवीणा च डक्कारी किन्नरी तथा । सारिका खुङ्खणी च ।
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