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तीर्थंकर पार्श्वनाथ
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में विचार मन्थन हुआ। अन्त में परम पूज्य उपाध्याय श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज ने अपने मंगल आशीर्वाद में कहा कि विद्वानों को एक आलेख तैयार करने में कई महीने प्रयास करना पड़ता है। समाज को इन जिनवाणी के सेवकों का सम्मान करना चाहिए। पार्श्व प्रभु की जयध्वनि के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ।
डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन भारती
बुरहानपुर