SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 393
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३३० तीर्थंकर पार्श्वनाथ अर्हन्त, सर्वज्ञ, सिद्ध परमात्मा हुए। उनके साथ ही साथ ३० सिद्ध और भी गए। भगवान् के समक्ष शिष्यों की संख्या सामान्य केवलियों की संख्या १००० पूर्व धारियों की संख्या ३५०, शिक्षक संख्या १०९००, विपल मति पर्यय ज्ञानी ७५०, विक्रिया ऋद्धि धारी. १००० अवधि ज्ञानियों की संख्या १४००, वादी संख्या ६००, आर्जिकाओं की संख्या ३८०००। महा पुरुष . १. २२वें तीर्थंकर भगवान् नेमिनाथ के बाद २३वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ के अन्तराल काल में जैन परम्परा के १२वें चक्रवर्ती श्री ब्रह्मदत्त हुए । हैं। श्री ब्रह्मदत्त की माता का नाम : चूला देवी तथा पिता का नाम " : ब्रह्मरथ, जन्म पुरी : काम्पिल नगर (दक्षिणी पांचाल), आयु : ७०० वर्ष। कुछ पुराणों तथा विद्वानों के कथनानुसार श्री पार्श्वनाथ तीर्थकर के काल में श्री ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती का शासन बतलाया जाता. २. भगवान् पार्श्वनाथ के तीर्थकाल में २२वें कामदेव नाग कुमार हुए हैं जो कैलास पर्वत से सिद्ध हुये। समस्त प्रमाणों के आधार पर यह तथ्य निकालना असंगत नहीं होगा कि जैनों के २३वें तीर्थंकर ऐतिहासिक हैं। उन्हों ने १०० वर्ष की पूर्ण आयु प्राप्त करने के बाद लगभग २८४५ वर्ष पूर्व निर्वाण प्राप्त किया। इस प्रकार उनकी जन्म-तिथि २९४५ वर्ष पूर्व ठहरती है। जैसा कि मैने पूर्व में इतिहास विषय में अल्पज्ञता स्वीकार की थी, अंत में भी वही स्थिति है। मैं नहीं जानता ग्रन्थों से सन्दर्भ जुटाने में कहां क्या चूक हुई है। विद्वानों से निवेदन है कि वे भूल सुधारने में मेरी सहायता कर मार्गदर्शन करेंगे।
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy