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________________ भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्तियों का वैशिष्ट्य ३२१ इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत वर्ष के कोने-कोने, मन्दिर - मन्दिर में भं. पार्श्वनाथ की मूर्तियों का वैभव बिखरा हुआ है उनका वैशिष्ट्य संक्षिप्त में इस प्रकार आँक सकते हैं । ✓ १. भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्तियां सात फण से लेकर सहस्त्रफण से युक्त हैं । २. सभी तीर्थंकरों की मूर्तियों में सर्वाधिक चमत्कारी, अतिशयकारी, मनोवांछित फल देने वाली मूर्तियों के रूप में ख्याति अकेले भ. पार्श्वनाथ की मूर्तियों की है जो उनके जन-जन में लोकप्रियता का प्रमाण है । " ३. भगवान् पार्श्वनाथ की उपलब्ध मूर्तियों में उनके जीवनकाल में बनी मूर्तियों से लेकर अद्यावधि निर्मित हो रही हैं। ४. भ. पार्श्वनाथ की अधिकांश मूर्तियां उनके अखण्ड ध्यान, उपसर्ग के प्रति परम धैर्य एवं अपार वात्सल्य की सूचक है । भ. पार्श्वनाथ की प्रतिमायें इस बात की सूचक हैं कि सज्जनों की साधना दुर्जनों के कोप से बिनष्ट नहीं हो सकती बल्कि परम ध्येय को प्राप्त कराने में समर्थ होती हैं | ६. भः पार्श्वनाथ की मूर्ति के समक्ष चिन्हित अभयहस्त, चक्र, मण्डल आदि निर्भयता, प्रगति की सूचना देते हैं । ७. · भ. पार्श्वनाथ की मूर्तियों पर दिखाये जाने वाला उपसर्ग उनकी प्रबल वीरता, धीरतां एवं क्षमाशीलता का सूचक है। जो यह संदेश भी देती हैं- कि शत्रु को क्षमा के माध्यम से ही परास्त किया जा सकता है । यहाँ तक कि क्षमा के प्रभाव से दुष्टों में भी अहिंसा, क्षमा एवं अपनत्व के संस्कार पड़ते हैं। अन्त में मैं यही कहूंगा कि हम इस मूर्ति वैभव की धरोहर का संरक्षण करें ताकि आने वाली पीढ़ियां पार्श्वप्रभु के संस्कारों को शिरोधार्य एवं ह्रदयग्राह्य कर सकें । श्री पार्श्वनाथाय नमः ।
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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