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भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्तियों का वैशिष्ट्य को भूगर्भ गृह में विराजमान कर दिया गया था। वर्तमान में इस प्रतिमा के नीचे से कागज या कपड़ा निकाला जा सकता है। यह मूर्ति पास के कुएं से निकाली गई थी।
अमीझरो पार्श्वनाथ-वाशिम : वाशिम में ७०० वर्ष प्राचीन भगवान् पार्श्वनाथ का विशाल मन्दिर है। कहते हैं कि इस मन्दिर पर अमृत बरसता है इसीलिए यह स्थान अमीझरो पार्श्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
असेगांव - चिन्तामणि पार्श्वनाथ : परभणी जिले में स्थित इस तीर्थ पर भ. पार्श्वनाथ की अतिशयकारी प्रतिमा है। यहाँ भक्त जन मनोकामना पूर्ति हेतु आते हैं। ___उस्मानाबाद : उस्मानाबाद नगर से ५ कि.मी. दूर सुप्रसिद्ध ८ पर्वत गुफायें हैं। अनुश्रुति है कि भगवान् पार्श्वनाथ के संघ में चंपा के राजा करकुंड ने यहाँ पुरातन गुफा मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया था। पुरातत्त्ववेत्ता इन गुहा मंदिरों के ५वी से ८वी शताब्दी में निर्मित मानते हैं। उत्तराभिमुख की कलात्मक गुफा में २ मीटर उत्तुंग भगवान् पार्श्वनाथ की अर्द्ध 'पद्मासन प्रतिमायें हैं। दक्षिणाभिमुख गुफाओं में भ. पार्श्वनाथ की केवल एक जीर्ण मूर्ति है। ...
विघ्नहर पार्श्वनाथ : आष्टा : उस्मानाबाद जिले में विघ्नहर पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र के रूप में विख्यात इस तीर्थ पर भगवान् पार्श्वनाथ की अतिशयकारी मूर्ति है जिसकी भक्ति से विघ्नों का नाश होता है। अत: भक्तजन इसे विघ्नहर पार्श्वनाथ कहते हैं। किंवदन्ती है कि लगभग ५०० वर्ष पूर्व मुस्लिम शासनकाल में जब मूर्तियों का निर्मम भंजन किया जा रहा था, इस मूर्ति की रक्षा हेतु इसे सन्दूक में बन्द करके ले जाया जा रहा था तब यहाँ से २ कि.मी. दूर दस्तापुर गाँव के बाहर बैलगाड़ी पहुँची तो वहाँ जा कर रुक गयी। उसी रात आष्टा गाँव की एक स्त्री को स्वप्न आया कि मूर्ति कहीं नहीं जायेगी अत: उसको वापिस लाया गया। इस प्रकार मूर्ति के चमत्कार को देख कर सभी ग्रामवासी इसके भक्त बन गये और इसे ग्रामदेवता मानने लगे।