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भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्तियों का वैशिष्ट्य
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बालाबेहट : ललितपुर से सागर मार्ग पर ३८ कि.मी. दूर बालाबेहट नामक अतिशय क्षेत्र सांवलिया पार्श्वनाथ के नाग से प्रसिद्ध १-१/४ फुट अवगाहन की सातिशय प्रतिमा है। यह मूर्ति सं. १५०० में किसी व्यक्ति को आये स्वप्न के आधार पर उत्खनन से प्राप्त हुई थी। ___करगुवां : झांसी से ५ कि.मी. दूर सांवलिया पार्श्वनाथ नाम से प्रसिद्ध अतिशय क्षेत्र करंगुवां है जिसमें भोयरे में भूगर्भ से प्राप्त मूर्ति भगवान् पार्श्वनाथ की है जो मनोज्ञ एवं इष्ट फल देने वाली है। मूर्ति लगभग ७०० वर्ष प्राचीन है।
__ श्रीनगर (गढ़वाल) :यहां एक प्राचीन दि. जैन मन्दिर अलकनन्दा के तट पर स्थित है। इस मन्दिर में दो प्रतिमायें भ. पार्श्वनाथ की हैं जो लगभग पन्द्रह सौ वर्ष (१५००) प्राचीन हैं ।१८
बड़ा गांव : मेरठ जनपद में स्थित इस तीर्थ पर भट्टारक जिनचन्द्र द्वारा संबत् १५४७ में स्थित भगवान् पार्श्वनाथ की चमत्कारी प्रतिमा है। : यह मूर्ति जिस टीले से प्राप्त हुई थी वहां दूध चढाने से पशुओं एवं मनुष्यों - की रोग मुक्ति होती है। . : बड़ा गांव : ललितपुर जनपद की तहसील महरौनी के निकट यह एक
अतिशय क्षेत्र है। वैशाख वदी ८ सं. १९७८ को यहाँ स्थित टीले की खुदाई कराई गई जिसमें १० दि. जैन प्रतिमायें निकलीं, जिनमें कुछ मूर्तियां बारहवीं एवं सोलहवीं शताब्दी की हैं। भगवान् पार्श्वनाथ की श्वेत पाषाण की मूर्ति है । यह पद्मासन है, हाथ खण्डित है। इस पर कोई लेख नहीं है, पॉलिस कहीं-कहीं उतर गयी है। अन्य दो मूर्तियां भी भ. पार्श्वनाथ की पाषाण की
___ मथुरा : मथुरा में भगवान् पार्श्वनाथ की कुषाण युगीन प्रतिमा की जानकारी मैंने लेख के प्रारम्भ में दी है। यहाँ के दि. जैन मन्दिर में स्थित श्वेत पाषाण की भगवान् पार्श्वनाथ की पद्मासन प्रतिमा है जिसकी