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भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्तियों का वैशिष्ट्य
३०७ संकेत किया है कि यह बालक दीर्घायु होगा। इसके सम्बन्ध में किसी प्रकार की चिन्ता नहीं करनी चाहिए और बालक का नाम
जो प्रभु पार्श्व जन्म को गाँव, सोदीजै बालक को नांव।
तो बालक चिरजीवी होय, यह कहि लोप भयो सुरसोय।।" ___ मायावी पुजारी की इस मायात्मक बात को खड़गसेन जी ने सत्य समझकर प्रसन्न भाव से पुत्र का नाम “बनारसी दास" रख दिया।
और इस तरह विक्रमाजीत बनारसीदास हो गये जिन्होंने 'नाटक समयसार' लिखकर अपार ख्याति अर्जित की। आज भी अनेक ऐसे तीर्थ हैं जो भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्तियों के चमत्कारों के कारण ख्याति प्राप्त हैं यथा.. राजस्थान में नागेश्वर पार्श्वनाथ, पार्श्वनाथ चूलगिरि, बिजौलिया पार्श्वनाथ, चम्बलेश्वर पार्श्वनाथ, अणिन्दा पार्श्वनाथ, नागफणी पार्श्वनाथ,
अंदेश्वर पार्श्वनाथ, उत्तरप्रदेश में अहिच्छत्रा (बरेली), ताजगंज आगरा, • भेलुपुर वाराणसी, बड़ागाँव (मेरठ), सांवलिया पार्श्वनाथ करगुवां, बिहार में सम्मेद शिखर,राजगृही, कुलुहापहाड़, प. बंगाल में बेलगछिया कलकत्ता, मध्य प्रदेश में गोपाचल, चन्देरी, रेशन्दीगिरि-नैनागिर, मकशी पार्श्वनाथ, आहू पार्श्वनाथ, कर्नाटक में हुम्मच पद्मावती, हलेविड द्वार समुद्रम्, कमठान भूमिगत पार्श्वनाथ, महाराष्ट्र में अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपुर, चिन्तामणि पार्श्वनाथ असे गाँव, चिन्तामणि पार्श्वनाथ कचनेर, संकटहरण पार्श्वनाथ जटवाड़ा, ऐलोरा पार्श्वनाथ, गुजरात में महुआ पार्श्वनाथ, अंकलेश्वर पार्श्वनाथ, अमीझरो पार्श्वनाथ, केरल में कल्लिन पार्श्वनाथ आदि ये सब ऐसे तीर्थ हैं जो भगवान् पार्श्वनाथ की महिमा, चमत्कार, संकटमोचन एवं अन्य मूर्ति वैशिष्ट्य के कारण चर्चित अर्चित हैं। ___सम्पूर्ण भारत की प्रमुख मूर्तियों का परिचय एवं वैशिष्ट्य यहां बताया जा रहा है।