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शैल चित्रकला संपदा और भ. पार्श्वनाथ
२७५ मध्य पोवार खेड़ा के पास हैं। पत्र पाते ही मैंने वहां के फोरस्ट ऑफीसर से संम्पर्क किया। उन्होंने सहयोग/सौजन्य देने का आश्वासन देकर मुझे आश्वस्त किया। आदमगढ़ वीरान पहाड़ियां हैं जिसकी एक ओर पत्थर की खदानें हैं। यहां सात शैलाश्रय हैं जिनमें गुफाएं हैं जिनके अंदर जैन शैलचित्र हैं। इन चित्रों को सफेद, लाल तथा काले रंग से बनाया गया है। कहीं कहीं पीले रंग का आभास भी मिलता है, इसे उड़े हुए लाल रंग का अवशेष माना जाता है। सफेद रंग खड़िया है लाल रंग हिरोंजी तथा काला रंग हर्रा नामक फल से तैयार किया. गया है। कमठ शठ उपसर्ग की चित्राकृतियां गुफा की खुरदरी दीवार पर बिना किसी अस्तर के चढ़ाए ही चित्र अंकित किए गए हैं। कहीं-कहीं चूने का हल्का सा पलस्तर है। ये चित्र इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय के विशेषज्ञ डी.के. जैन तथा डाइरेक्टर डॉ. श्री के.के. चक्रवर्ती के अनुसार ३ हजार वर्ष प्राचीन हैं। ..भ. पार्श्वनाथ और उनकी विरासत से सम्बन्धित शैल चित्र विदिशा के
समीप सतधारा में भी मिले हैं। यहां हलाली नदी के किनारे भारतीय .पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई में जैन स्तूप निकले हैं। इनकी संख्या लगभग
५० है। एक के बाद एक स्थलों पर उपलब्ध चित्रों को बारीकी से देखें तो · लगता है जैसे प्रत्येक स्थल का अपना लाक्षणिक महत्व है व्यक्तित्व है जो संभवतः इस क्षेत्र पर भिन्न भिन्न समयों की सांस्कृतिक विशेषताओं के कारंण निवासियों द्वारा किए गए चित्रांकन में प्रतिबिंबित होता है। अधिकांश चित्र तत्कालीन जीवनयापन तथा पूजा पद्धति से सम्बन्धित हैं। सांची से भोपाल जाते समय एक रास्ता सतधारा के लिए जाता है। इस मोड़ से नौ कि. मी. वीहड़ जंगल में यह स्थान है। यहां पर कोई आवागमन का स्थाई मार्ग नहीं है न ही साधन उपलब्ध है। अपनी जीप आदि से पहुंचा जा सकता है। पुरातत्व विभाग की देख-रेख में अभी काम चलने से फोटोग्राफी करना मना है क्यों कि इस सामग्री का प्रकाशन नहीं हुआ है।
भगवान् पार्श्वनाथ जैसे शैलचित्र भोपाल के इंदिरागांधी मानव संग्रहालय श्यामला हिल्स में स्थित शैलाश्रय क्रं. २३ में भी हैं। शैलाश्रय क्र.. १७ चुनौतीपूर्ण विषम क्षेत्र पर है। पंचयति नग्न दिगंबर या पंचपरमेष्ठी का