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जैन स्तोत्र और भगवान पार्श्वनाथ
आकर्णितो ऽपि माहतो ऽपि निरीक्षतो ऽपि नूनं न चेतासि मया विधृतोऽसि भक्त्या। जातो ऽस्मि तेन जन बान्धव दु:ख पात्रं
यस्मा त्क्रिया प्रति फलन्ति न भावशून्या: ।।१२ पार्श्वनाथ विषयक अन्य स्तोत्रों में प्रमुख हैं : १. विद्यानन्द (आठवीं शती) श्रीपुर पार्श्वनाथ स्तोत्र २. इन्द्रनन्दि (लगभग १०५० ई.) पार्श्वनाथ स्तोत्र ३. राजसेन (ल. ११५० ई.) पार्श्वनाथाष्टक ४. पदमप्रभ मलधारी (११६७-१२१७ ई.) पार्श्वनाथ (लक्ष्मी) स्तोत्र ५. विद्यानन्दि (११८१ ई.). पार्श्वनाथ स्तोत्र ६. धर्मवर्धन (ल. १२०० ई.) षडभाषा निर्मित पार्श्वजिन स्तवन ७. महेन्द्रसूरी (१२३७ ई.) जीरावतली पार्श्वनाथ स्तोत्र ८. पद्मप्रभ (१२३७ ई.) पार्श्वस्तव ९. जिनप्रभ सूरि (१२९५-१३३३ ई.) पार्श्वनाथ स्तव १०. नयचन्द्र सूरि (ल. १४वी शती) स्तम्भ पार्श्वस्तव ११.. पद्मनन्दि भट्टारक (१३६०-९५ ई.) रावण पार्श्वनाथ स्तोत्र जीरावतली .पार्श्वनाथ स्तवन कल्याण मंदिर की पादपूर्ति में रचित पार्श्वनाथ विषयक स्तोत्र हैं : अज्ञात कर्तृक - पार्श्वनाथ स्तोत्र अज्ञात कर्तृक - वीर स्तुति अज्ञात कर्तृक - विजयानन्द सूरीश्वर स्तवन
इस प्रकार हम देखते हैं कि भ. पार्श्वनाथ को आधार बनाकर सर्वाधिक स्तोत्रों की रचना हुई है और लगभग सभी स्तोत्रों में उनकी स्तुति