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मथुरा वर्षायोग पत्रिकाओं के आलोक में
___ योगीराज श्रीकृष्ण की धरती पर इस वर्ष एक और योगी के चरण पड़े। यह धरती और यहां के लोग अनायास ही सब कुछ पा गए। यह जिक्र है उपाध्यायश्री ज्ञानसागर महाराज के मथुरा चातुर्मास का। मथुरा जी में चार महीने तक संत की वाणी ने अमृत बरसाया। हजारों लोग इस
अमृत वर्षा में सराबोर हुए। .. . रचनात्मक और स्वास्थ्य निर्माण के कार्य चार महीने तक अबाध गति से चलते रहे। उपाध्यायश्री का विहार कभी निश्चित दिन या तिथि में नहीं होता। उपाध्यायश्री के अलावा किसी को यह नहीं पता होता कि उनका अगला मंगल प्रवास कहां होगा। बीती गर्मियों में जब उन्होंने राजस्थान से विहार किया था तो लोगों को उम्मीद थी, बल्कि पक्का भरोसा था कि उनका चातुर्मास आगरा में होगा, लेकिन पुण्योदय मथुरा के लोगों का हुआ। प्रकृति ने भी मथुरावासियों का साथ दिया और उपाध्यायश्री अपने संत शिष्य वैराग्य सागर महाराज के साथ मथुरा. स्थित जैन चौरासी सिद्ध क्षेत्र में आ पहुंचे। . - उपाध्यायश्री के आगमन को लेकर मथुरा क्षेत्र के पत्रकार भी कम उत्सुक नहीं थे। यह उत्सुकता और उत्साह चातुर्मास के समापन के बाद उपाध्यायश्री के विहार तक बनी रही। क्षेत्र में सम्भवतः ऐसा कोई पत्रकार नहीं बचा जिसने उपाध्यायश्री के चातुर्मास को लेकर अपनी कलम न चलाई हो, और मथुरा पहुंचने वाले अथवा यहां से छपने वाले अखबार में से ऐसा कोई शेष न बचा जिसने उपाध्यायश्री के चातुर्मास के संबंध में खबर न छापी हो।
. चार जुलाई को उपाध्यायश्री मथुरा पहुंचे और 19 जुलाई को चातुर्मास स्थापना समारोह हुआ। दैनिक जागरण ने लिखा 'दिगम्बर जैन