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समर्पण
विलुप्त श्रमण परम्परा के पुनरूद्धारक तेजस्विता एवं मनस्विता के समन्वय
चारित्र - शिरोमणि, धर्मप्रभाकर
आचार्य १०८ श्री शांतिसागर छाणी जी
प्रथम पट्टशिष्य
प्रज्ञापुंज "संयमप्रकाश” प्रभाव प्रदाता आचार्य १०८ श्री सूर्यसागर जी
द्वितीय पट्टशिष्य
तप, वैराग्य, संयम करूणा से ओत प्रोत धर्म वैजयन्ती प्रसारक आचार्य १०८ श्री विजय सागर जी
तृतीय पट्टशिष्य
निष्पृही तपःपूत साधक आचार्य १०८ श्री विमलसागरजी (भिण्डवाले)
चतुर्थ पट्टशिष्य
मासोपवासी, संयम साधक आचार्य श्री १०८ सुमतिसागर जी सतत् प्रवाहमान निर्दोष परम्परा के संवाहक
सराकोद्धारक युवामनीषी उपाध्याय १०८ श्री ज्ञानसागर जी महाराज के कर कमलो में सादर सविनय समर्पित