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________________ कहाँ हुआ कमठ का उपसर्ग . जब भगवान् पार्श्वनाथ इतिहास के रूप में मान्य हैं तो उनके जीवन की घटनाओं से संबंधित स्थानों का सर्वेक्षण भी इतिहास और पुरातत्व के आधार पर किया जाना चाहिए। पूर्व स्थापित स्थानों की महत्ता को नकारे बिना भी यह कार्य होना संभव है यदि हमारा उद्देश्य नवीन तथ्यों की खोज हो, किसी स्थान की अवहेलना नहीं। · भगवान् पार्श्वनाथ के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना है तपस्या काल में उनके ऊपर कमठ के जीव संवर देव द्वारा घोर उपसर्ग और नाग-नागिन के जीव धरणेन्द्र पद्मावती द्वारा उस उपसर्ग का निवारण । यह महत्वपूर्ण घटना वर्तमान के अहिक्षेत्र में घटी थी ऐसा माना जाता है। किन्तु मुझे पार्श्वनाथ के जीवन चरित्र को चित्रित करने वाले ग्रंथों यथा उत्तरपुराण, पार्श्वनाथ चरित्र, पार्वाभ्युदय, पार्श्वपुराण आदि में कहीं भी उपसर्ग अहिक्षेत्र में हुआ ऐसा पढ़ने को नहीं मिला। सभी जगह दीक्षा स्थल अश्ववन लिखा है और उपसर्ग के लिए लिखा है कि चार माह विचरण करने के बाद पार्श्वनाथ ने उसी दीक्षावन में सात दिन का योग धारण किया। यह अश्वंवन कहाँ था इसका कोई उल्लेख कहीं नहीं है। उपरोक्त ग्रंथों के टीकाकारों ने भी अपनी टीकाओं या प्रस्तावना आदि में इसका कोई उल्लेख नहीं किया। जबकि पार्श्वनाथ के जन्म स्थान आदि का वर्णन नगर के नाम सहित सभी ने किया है। • डा. प्रेमसागर जी ने “तीर्थंकर पार्श्वनाथ भक्तिगंगा” नामक संकलन का संपादन किया है, उस संकलन में उन्होंने “तीर्थंकर पार्श्वनाथ" नाम से जो भूमिका लिखी है, उसमें लिखा है कि “पार्श्वनाथ तीस वर्ष तक कुमार रहे, फिर उन्होंने पौष कृष्ण एकादशी के दिन प्रात:काल तीन सौ राजाओं के साथ वीतरागी दीक्षा ले ली। चार माह तक छद्मस्थ अवस्था में विहार करते रहे, तदुपरान्त रामनगर के पास अहिक्षेत्र में देवदारु वृक्ष के नीचे ध्यानस्थ होकर बैठे थे। वहीं उन पर उपसर्ग हुआ” परन्तु लेखक ने यह स्पष्ट नहीं किया कि स्थान का यह कथन किस शास्त्र के आधार पर लिखा गया है।
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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