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________________ पार्श्वनाथ के जीवन से सम्बन्धित कतिपय तथ्य और सम्प्रदाय भेद शिष्य का नाम श्वेताम्बर परम्परा में आर्यदत्त आया है तथा दिगम्बर परम्परा में स्वयंभू। इसी तरह प्रथम शिष्या का नाम श्वेताम्बर परम्परा में पुष्पचूला आया है, जबकि दिगम्बर परम्परा में सुलोचना। दिगम्बर परम्परा के अनुसार पार्श्वनाथ की निर्वाण तिथि श्रावण शुक्ला सप्तमी है, जबकि श्वेताम्बर परम्परा उनकी निर्वाण तिथि श्रावण शुक्ला अष्टमी मानती है। इन सम्प्रदायगत मतभेदों के मूल तक पहुँचने का प्रयास अपेक्षित · जैन मान्यतानुसार पार्श्वनाथ के २५० वर्ष बीत जाने पर भगवान् महावीर का जन्म हुआ था। उत्तरपुराण में गुणभद्राचार्य ने लिखा है - ...., 'पार्वेशतीर्थसन्ताने पञ्चाशत् द्विशताब्दके। .. तदभ्यन्तवायुमहावीरोऽत्र जातवान्' ।।१ वीर निर्वाण सम्वत् और ईस्वी सन् में ५२७ वर्ष का अन्तर है। तीर्थंकर महावीर की आयु कुछ कम बहत्तर वर्ष की थी। वहीं कहा गया - द्वासप्ततिसमा: किञ्चिद्नास्तस्यायुष:स्थिति': ।२२।। - अतएव ५२७ + ७२ = ५९९ वर्ष ईस्वीपूर्व में भगवान् महावीर का जन्म हुआ था। भ. महावीर के जन्म के २५० वर्ष पूर्व अर्थात् ५९९ + . २५.० = ८४९ वर्ष ईस्वी पूर्व में तीर्थंकर पार्श्वनाथ का निर्वाण और उससे १०० वर्ष पूर्व अर्थात् ९४९ ईस्वी पूर्व में उनका जन्म हुआ था। इस प्रकार दिगम्बराचार्य गुणभद्र के अनुसार पार्श्वप्रभु का जन्म ईस्वीपूर्व दसवीं शताब्दी का मध्य तथा निर्वाण ईस्वीपूर्व नौवीं शताब्दी का मध्य ठहरता है। आवश्यकनियुक्ति की मलयगिरिवृत्ति के अनुसार भी लगभग यही काल निकलता है। . पार्श्वनाथ का तीर्थकाल २५० वर्ष माना है। यह दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों परम्पराओं को स्वीकार्य है। तिलोयपण्णत्ति में उल्लेख है कि भगवान् पार्श्वनाथ बाइसवें तीर्थंकर नेमिनाथ के ८४६५० वर्ष बाद और
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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