SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ viji तीर्थंकर पार्श्वनाथ आचार्य श्री ने नगर-नगर, डगर-डगर में धर्म का डंका बजाकर सन् 1944 सागवाडा राजस्थान में ज्येष्ठ बदी दशमी को समाधि पूर्वक मरणकर इस नशवर काया को त्याग दिया। इनके अनेक शिष्य हुए। जिनमें आचार्य सूर्यसागर जी बहुश्रुत ... विद्वान् थे। आचार्य सूर्य सागर जी का जन्म पेमसर (शिवपुरी) म.प्र. में कार्तिक शुक्ला नवमी संवत् 1940 में हुआ। इनका ग्रहस्थ का नाम हीरालाल था। आपने मंगसिर कृष्णा ग्यारस वि.स. 1981 में आचार्य .. शान्ति सागर जी छाणी से मुनि दीक्षा लेकर वि.स. 2009 में समाधिमरण किया। दिगम्बर जैन परम्परा में कुछ ही साधु ऐसे हैं, जो साहित्यसपर्या । के माध्यम से जैन साहित्य को सुदृढ़ और स्थायी बना सके हैं। आचार्य सूर्यसागर जी उनमें एक थे। उन्होंने लगभग 35 ग्रन्थों का संकलन/प्रणयम किया और समाज ने उन्हें प्रकाशित कराया। 'संयमप्रकाश' उनका अद्वितीय बृहत् ग्रन्थ है, जिसके दो भागों (दस किरणों) में श्रमण और . श्रावक के कर्तव्यों का विस्तार से विवेचन है। संयमप्रकाश सचमुच में संयम का प्रकाश करने वाला है, चाहे श्रावक का संयम हो चाहे श्रमण आचार्य सूर्यसागर जी का आचार्य पद पूज्य मुनिश्री विजयसागर जी महाराज को लश्कर में दिया गया था। आचार्य विजयसागर जी महाराज परमतपस्वी वचनसिद्ध आचार्य थे। कहा जाता है कि एक गांव में खारे पानी का एक कुआँ था, लोगों ने आचार्य श्री से कहा कि हम सभी ग्रामवासियों को खारा पानी पीना पड़ता है, आचार्य श्री ने सहज रूप में कहा - 'देखो पानी खारा नहीं मीठा है' उसी समय कुछ लोग कुएँ पर गये और आश्चर्य कि पानी खारा नहीं मीठा था। आपके ऊपर उपसर्ग आये, जिन्हें आपने शान्तिभाव से सहा, आपकी समाधि ग्वालियर (मुरार) में श्री दीनानाथ जी बगीची के सामने जैन बगीची में है। आचार्य विजयसागर जी के शिष्यों में आचार्य विमलसागर जी सुयोग्य शिष्य हुए आपका जन्म सं. 1948 पोष शुक्ला द्वितीय को
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy