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जम्बू द्वीपदिर्शि प्रोक्तात्, पर्वतानां समुच्छ्रयात् । स्यादस्यामपनीतायां, शिखादिशि नगोच्छ्यः ॥१६१॥
जम्बू द्वीप की दिशा तरफ पर्वत की ऊंचाई में से यह पांच योजन और कुछ कम अट्ठावन अंश निकालते शिखा की दिशा में पर्वत की ऊंचाई आती है । (१६१)
स चायं - योजनानां नवशती, त्रिषष्टयाऽभ्यधिका.किल । .. सप्त सप्ततिरंशाश्च, तथाऽत्र स्याज्जलोच्छु यः ॥१६॥ योजनानां पञ्चदशाः, शतास्त्रयोऽष्ट चांशकाः । चतुः शती च पञ्चाशा, दशांशाश्च धरोण्डता ॥१६३॥ एवं वेलन्धरावास पर्वतानां यथा मतिः । .. स्वरूपं दर्शितं किन्चिज्जीवाभिगमवर्णितम् ॥१६४॥ ...
और उसकी ऊंचाई ६६३- ७७/६५ योजन की है तथा पानी की ऊंचाई ३१५- ८/६५ योजन की और पृथ्वी की ऊंचाई ४५०- १०/६५ योजन की है इस तरह श्री जीवाभिगम सूत्र जो कहा है उसे यथामति-मति अनुसार बताया है । (१६२-१६४)
सुमेरूतः पश्चिमायां, जम्बूद्वीपान्त्यभूमिं तः । सहस्रान् द्वादशातीत्य, लवणाम्भोनिधाविह ॥१६५॥ योजनानां सहस्राणि, द्वादशायत विस्तृतः । शोभते गौतम द्वीपः स्थानं सुस्थितनाकिनः ॥६६॥
गौतम द्वीप :- सुमेरू पर्वत से पश्चिम दिशा में जम्बूद्वीप के किनारे से लवण समुद्र में बारह हजार योजन आगे जाने बाद बारह हजार योजन लम्बा और चौड़ा सुस्थित देव के स्थान रूप गौतम द्वीप शोभायमान है । (१६५-१६६)
सप्त त्रिंशत्सहस्राणि, योजनानां शतानि च । नवाष्टचत्वारिंशानि, द्वीपेऽस्मिन् परिधिर्भवेत् ॥१६७॥ .
इस द्वीप की सैंतीस हजार नौ सौ अड़तालीस (३७६४८) योजन परिधि होती है । (१६७)