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(२५१)
अंशानेतादृशानष्टाविंशतिं तत् समुच्छ्रितम् । सर्वे ज्योति विमाना हिं, निज व्यासार्द्ध मुच्छ्रिताः ॥४१॥
एक योजन का ६१ अंश विभाग करके और उसमें से ५६ अंश प्रमाण चन्द्र का विमान लम्बा चौड़ा है और २८ अंश ऊंचा है । क्योंकि सर्व ज्योतिष्क विमान अपनी चौड़ाई से आधा ऊंचाई वाला होता है । (४०-४१)
अष्टचत्वारिंशतं प्रागुक्तां शान् विस्तृतायतम् ।। विवस्वन्मण्डलं भागाँश्चतुर्विशतिमुच्छ्रितम् ॥४२॥
पहले कहे अनुसार योजन के ६१ अंश में से ४८ अंश प्रमाण लम्बा चौड़ा सूर्य विमान है और चौबीस अंश ऊंचा है । (४२) विशेष तस्तु - चतुर्दश शतान्यष्ट षष्टिः क्रोशास्तथोपरि ।
धनुः शताः सप्तदश चतुर्युक्ताः करत्रयम् ॥४३॥ अंगुलाः पन्चदश च चत्वारः साधिका यवाः । ततायतं चन्द्र बिम्बमुत्सेधाङ्गुलमानतः ॥४४॥
विशेष रूप उत्सेध अंगुल के अनुसार गिनती की जाय तो चौदह सो अडसठ (१४६८) सत्तरह सौ चार (१७०४) धनुष्य, तीन हाथ, पंद्रह अंगुल और साधिकं चार यव लम्बा चौड़ा चन्द्र का बिम्ब है यह उत्सेध अंगुल का प्रमाण कहलाता है । (४३-४४)
शतानि द्वादशैकोनषष्टिः क्रोशास्तथोपरि । चापा द्वात्रिंशस्त्रि हस्ती, त्रयोऽङ्गुलाश्च साधिकाः ॥४५॥ ततायतं सूर्य बिम्बमुत्सेधागुलमानतः । परिक्षेपस्तु विज्ञेयः स्वयमेवानयोर्द्वयोः ॥४६॥
उत्सेध अंगुल के प्रमाण से १२५६ कोस, ३२ धनुष्य, तीन हाथ साधिक . तीन अंगुल, लम्बा चौड़ा सूर्य का बिम्ब होता है । जबकि ये चन्द्र, सूर्य बिम्ब का उत्सेध अंगुल जन्य परिधि स्वयमेव जान जेना चाहिए । (४५-४६)
प्रमाणाङ्गुलजक्रोशद्वयमायत विस्तृताः । स्युर्ग्रहाणां विमानास्ते, क्रोशमेकं समुच्छ्रिताः ॥४७॥