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उक्त स्थान में एक-एक के अन्दर एक सौ अस्सी जिन प्रतिमा होती है परन्तु नौग्रैवेयक में ३१८ और पांच अनुत्तर में पांच चैत्य होते है और उसमें एक सौ बीस जिन प्रतिमा होती है । जम्बू द्वीप में
-६३५ शाश्वत चैत्य धात की खण्ड में
१२७२ पुष्करार्ध में
१२७२ मानुषोत्तर पर्वत सहित मनुष्यक्षेक बाहर- ८० कुल
३२५६ ... ऊर्ध्व लोक में शाश्वत चैत्य का कोष्ठक नाम . स्थान विमान
चैत्य १- सौधर्म देवलोक ३२ लाख
३२ लाख इर्शान "
२८ लाख
२८ लाख ३- . सनत्कुमार "
१२ लाख
१२ लाख ४सनत्कुमार "
८ लाख ५- . महेन्द्र ":
४ लाख
• ४ लाख ६- लांतक "
५० हजार
५० हजार ७- महाशुक्र देवलोक ४० हजार ८- सहस्रार ".. ... ६+१०- आनत-प्राणत " ...| ११+१२ आरण-अच्यूत "
३०० नौ ग्रैवेयक पांच अनुत्तर
८४६७०२३
८४६७०२३
८ लाख
*
४० हजार
६ हजार
६ हजार
४००
४००
३००
३१८
३१०