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महाविदेह का मध्य विस्तार ८०५१६४ योजन १८४ अंश मेरू पर्वत का मध्य विस्तार ६४०० योजन निकाल देना ७६५७६४ योजन १८४ अंश है
इस संख्या का आधा करने से ३,६७,८६७ योजन और ६२ अंश आता है जो एक कुरुक्षेत्र का विस्तार होता है । (१८८-१८६)
अथापाच्यामुदीच्यां च नीलवनिषधाद्रितः । ... प्रत्येकं यमकाद्रीस्तो, जम्बू द्वीप कुरुष्विव ॥६॥
इसके बाद नीलवंत और निषध पर्वत से दक्षिण और उत्तर दिशा में दो-दो यमक पर्वत है, और वह जम्बू द्वीप के कुरुक्षेत्र के समान समझना । (१६०)
जम्बूद्वीपयमक वत्स्वरूपमेतयोरपि । ... सहस्र योजनोच्चत्व विस्तारायामशालिनोः ॥१६१॥
एक हजार योजन की ऊंचाई-लम्बाई और चौड़ाई से शोभायमान ये दोनों यमक पर्वतों का स्वरूप जम्बू द्वीप के यमक पर्वत समान है । (१६१)
कमात्तोहृदाः पन्चतन्नामानस्तथा स्थिता । तटद्वये दश दश कान्चनाजलचारवः ॥१६२॥
क्रमशः उसके बाद पांच सरोवर है जोकि जम्बू द्वीप के समान नामवाले है उस सरोवर के दोनों तट-किनारे पर दस-दस कंचन गिरि पर्वत है । (१६२),
हृदाः पन्चाप्यमी ताहगृनाममिः सेविताः सुरेः । तद्वत्पद्मान्चितास्तेभ्यो, द्वि गुणायत विस्तृताः ॥१६३॥
ये पांचो सरोवर वैसे ही नामवाले देवताओं से सेवित है । जम्बू द्वीप के सरोवर समान कमलों से युक्त है और लम्बाई चौड़ाई में जम्बू द्वीप से दो गुणा है। (१६३)
तटद्वये दश दश, ये चात्र कान्चनाद्रयः ।। स श्रीकास्तेऽपि मानेन, तैर्जम्बू द्वीपगैः समाः ॥१६॥