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________________ (४५) जैन श्रावक की यह दिनचर्या साधक को सही दृष्टि दे देती है। “यादृक्दृष्टि तादृक् सृष्टि' के आधार पर पहले सही दृष्टिकोण का निर्माण हो, आस्था का निर्माण हो। श्रद्धान्वित होकर फिर अनासक्त हो अर्थात् कषाय को शान्त करें। आवेग की तीव्रता को शान्त करे। तभी मुमुक्षता आयेगी और अहंकार और ममत्व का विसर्जन होगा। इस विसर्जन के लिए जैनधर्म की अपनी एक विशिष्ट जीवन पद्धति है और एक विशिष्ट दैनिक चर्या है जिस पर चलकर साधक क्रमश: राग-द्वेष से मुक्त होकर जीवन यापन कर सकता है। समाज यदि इस अहिंसक जीवन पद्धति का आचरण करने लगे तो पर्यावरण के प्रदूषित होने का कभी प्रश्न ही नहीं उठेगा। ___ अहिंसक जीवन पद्धति में ऐसी एलोपैथिक दवाओं का भी उपयोग नहीं किया जाना चाहिए जो पशु-उत्पादों से निर्मित होती हैं, या हीमोग्लबिन की उत्पाद है, या पैंक्रियाटिन, बाइलसाल्ट, पैसिन इत्यादि से बनी हैं मानवकल्याण चिकित्सालय के डाक्टरों ने ऐसी औषधियों की एक सूची तैयार की है जिनको प्रिस्क्राइव नहीं किया जाना चाहिए। यह सूची इस प्रकार है लीव्हरएक्सट्रेक्ट से बनी औषधियाँ; बेचर टानिक, हेपेटो ग्लोबिन, सीरप, मिन वेरीस सीरप, आ० बी० टान सीरप, नेपे पेटेक्स इन्जेक्सन, लीव्हर ऐक्सट्रेक्ट इन्जेक्सन्स बायगरज टैब, न्यूरोटार्ट कैप्सुल, कोड लीवन आयल, सीवेन सीज कैप्सुल। हीमोग्लाबिन से निर्मित औषधियाँ: हीमप सीरप कैप्सूल, डेक्सोरैंज सीरप कैप्सुल, ग्लोबैक सीरप कैप्सुल, हैमफर सीरप, बायोसिन सीरप, हेप फोर्ट सीरप कैप्सूल, प्रौबोफैक्स विद होमोग्लाबिन, हीमारैंज सीरप, ग्लोबिरोन सीरप। कैप्सुल, हमेगा सीरप, जेनलोबिन सीरप, जी०आर०डी० पाउडर, ग्लोबिफैक्स, हाइ-फाइ सीरप। पैक्रिएटिन, बाइलसाल्ट, पैप्सीन इत्यादि से तैयार औषधियाँ है; पैंजीनार्न टैब्लेट, पेयीटेजाइम टैब्लेट, जीमेक्स सीरप, पैक्रिओ फ्लेट, निओपटटाइन सीरप, लुल्पीजाइम सीरप, डाइजीप्लेक्स सीरप टैबलेट, फस्टालएन टैब, लाहमिना, एरिस्टोजाइम केप्सुल सीरप, एंडोस कैप्सुल, एन्जार फार्ट टैब्लेट, लिबोटोन कैप्सुल, मैप्राजाइम सीरप, मेरीजाइम सीरप, पैक्रिओन टैब्लेट, पीबीजाइम सीरप। इसी तरह सौन्दर्य प्रसाधनों में भी हिंसा दिन पर दिन बढ़ती जा रही है और पर्यावरण प्रदूषित हो रहा हैं। उदाहरण तौर पर, लिपिस्टिक, नेलपालिस आदि भी प्राणियों को वेरहमी से मारकर बनाई जाती है। खुबसूरत जूते और हेन्डबेगों के लिए सांप, मगरमच्छ और पशुओं के चमड़े-निकाले जाते हैं। असली रेशम जीवित कीड़ों को उबालकर प्राप्त किया जाता हैं। कस्तूरी मृग और सिवट जैसे जानवरों को मारकर परफ्यूम बनाई जाती हैं सुगन्धित इत्र, साबुन, तेल, क्रीम आदि का निर्माण पशुओं
SR No.002269
Book TitleVasnunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilsagar, Bhagchandra Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages466
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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