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वसुनन्दि- श्रावकाचार
९. समताल
१०. द्यूत
११. जनवाद
१२. पासक
१३. अष्टापद
१४. पौरस्कृत्य
१५. उदक- मृत्तिका
१६. अन्न-विधि
१७. पान-विधि
१८. वस्त्र - विधि
१९. विलेपन-विधि
२०. शयन - विधि
२१. आर्या
२२. प्रहेलिका
२३. मागधिका
२४. गाथा
२५. गीतिका
२६. श्लोक
२७. हिरण्ययुक्ति
२८. सुवर्णयुक्ति
२९. गन्धयुक्ति
३०. चूर्णयुक्ति
३१. आभरण-विधि
३२. तरुणी प्रतिकर्म
(२६१)
गान एवं ताल में लयात्मक समीरण का ज्ञान
जुए का दाँव चलने की कला
वार्तालाप करने या वाद-विवाद करने की कला
पासा फेंकने की कला
एक विशेष प्रकार की द्यूत-क्रीड़ा का परिज्ञान
नगर की सुरक्षा-व्यवस्था सम्बन्धी कला (अथवा आशुकवित्व) मिट्टी के बर्तन बनाने की कला
अनाजोत्पादन अथवा भोजन- परिपाक की कला
पेय पदार्थों के निर्माण व प्रयोग की कला
वस्त्र बनाने व पहिनने की कला
शरीर पर सुगन्धित लेप, मण्डन करने की कला
शय्या बनाने, सजाने आदि की कला
आर्या आदि मात्रिक छन्द बनाने की कला
" गूढाशययुक्त गद्य-पद्यात्मक रचना की कला
— मागधी प्राकृत की काव्य-रचना की कला
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आचार्य वसुनन्दि
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शौरसेनी, अर्धमागधी, पैशाची, प्राकृत गाथा - रचने की
कला
गीति, उपगीति आदि की काव्य-कला
अनुष्टुप आदि छन्द-रचना-कला रजत-निष्पाद-चाँदी बनाने की कला
सोना बनाने की कला
सुगन्धित पदार्थ बनाने की कला
तान्त्रिक विधि से चूर्णमिश्रित औषधि द्वारा दूसरों को सम्मोहित करने की कला
आभूषण बनाने एवं पहिनने की कला
युवति-सज्जा की कला