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(वसुनन्दि-श्रावकाचार (२५१)
आचार्य वसुनन्दि कल की तत्त्व चर्चा से अनुराग कुछ संतुष्ट सा नहीं था। आयुबन्ध का प्रकरण समझ में नहीं आ रहा था। अत: प्रश्न करते हुए बोला- भैया! कल आपने जो आयु बन्ध के सम्बन्ध में बातें कही थीं, वह मुझे अच्छी तरह से समझ में नहीं आई। यह आयु का त्रिभाग क्या चीज है और आठ बार बन्ध होना..... कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
विराग ने उसे समझाते हुए कहा- आगामी (वध्यमान) आयुकर्म का बन्ध जो वर्तमान (भुज्यमान) आयु के त्रिभाग में होता है, उस त्रिभाग का समय जीवन में अधिकतम आठ बार आता है। फिर भी यदि आयुकर्म का बन्ध न हो तो जीवन के अन्त समय में अर्थात् मरण के अन्तर्मुहूर्त पहले तक भी बन्ध होता है।
और अब है, त्रिभाग की बात तो उसे मैं एक उदाहरण के द्वारा बताता हूँ। मान लो मेरी भुज्यमान आयु इक्यासी वर्ष है, तो इक्यासी में तीन का भाग देकर उसमें एक (तीसरा) भाग घंटाने पर अर्थात् दो-तिहाई उम्र बीत जाने पर इक्यासी वर्ष के प्रथम त्रिभाग चौवन वर्ष की उम्र में आयेगा, तब आगामी आयु का बन्ध होगा। यदि उसमें आगामी (बध्यमान) आयु का बंध नहीं हुआ तो शेष बचे वर्तमान आयु के सत्ताईस वर्षों का दूसरा त्रिभाग बहत्तर वर्ष की उम्र में आयेगा। उसमें आगामी आयु कर्म का बन्ध होगा। तब भी न हुआ तो वर्तमान आयु का नौ वर्ष का तीसरा त्रिभाग अठहत्तर वर्ष की उम्र में आयेगा जिसमें आगामी आय का बन्ध होगा। इसके बाद चौथा त्रिभाग अस्सी वर्ष में, पाँचवा त्रिभाग अस्सी वर्ष आठ माह में, छठवां त्रिभाग अस्सी वर्ष दस माह बीस दिन में, सातवां त्रिभाग अस्सी वर्ष ग्यारह माह सोलह घंटे में और आठवां त्रिभाग अस्सी वर्ष ग्यारह माह पच्चीस दिन बारह घंटे व चालीस मिनिट में आयेगा, जिसमें आगामी आयु का बन्ध होगा। . इस प्रकार बध्यमान आयु के आठ अवसर आते हैं। यदि इन आठों अवसरों में आयु कर्म का बन्ध नहीं हुआ तो आवली का असंख्यातवाँ भाग अर्थात सैकेंड का असंख्यातवाँ भाग शेष रहने पर आगामी आयु बन्ध अवश्य ही होगा। यह सिद्धान्त ग्रन्थों में स्पष्ट रूप से लिखा है। _ विराग की बात पूर्ण होते ही अनुराग बोला- अगर पहला त्रिभाग ५४ (चौवन) वर्ष की उम्र में आता है, तो जिनका एक-दो वर्ष की उम्र (आयु) में अथवा चालीस-पचास वर्ष की उम्र में ही मरण हो जाता है, तो क्या उनको आयु बन्ध नहीं होता होगा?
समझाते हुए विराग बोला- मरण काल का अचलावली काल शेष रहने पर नियम से आयुबन्ध हो जाता है। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि जो व्यक्ति एक-दो वर्ष की उम्र में मरण कर रहा है, तो उसका एक भी विभाग न पड़ा होगा। वह तो मैंने एक दृष्टांत बताया था, हाँ! अगर किसी की वर्तमान आयु ही एक या दो वर्ष की