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उपस्थित श्रीसंघ ने सर्वानुमति से व जावरा एवं आहोर पाट गादी के श्रीसंघ की राय से ज्येष्ठ सुदि ११ को श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में आपको प्रवर्तिनी पद' प्रदान करने का निर्णय किया। ____ॐ पुण्याहं, ॐ पुण्याहं, ॐ प्रियंतां, ॐ प्रियंतां के नारों से तीर्थाधिराज श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की परम पावन पवित्र भूमि का वातावरण गुजायमान हो रहा था। आज के पवित्र दिन में उषाकाल में २५० प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होना था। उसके पश्चात् तीर्थ विकास के प्राण, परम पूज्य कविरत्न शासन प्रभावक आचार्य देव श्रीमद्विजय विद्याचन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के समाधि मंदिर की प्रतिष्ठा का कार्य था। आचार्यश्री की मूर्ति विराजमान होना थी। उसके पश्चात् परम पूज्य आचार्य श्री विद्याचंद्रसूरिजी महाराज का स्मृति ग्रन्थ का विमोचन। प्रातःकाल से ही सभी ओर उमंग उत्साह एवं आनन्दित वातावरण चल रहा था। सभी कार्यक्रम एक-एक के बाद व्यवस्थित रूप से प्रारंभ होकर कार्य संपन्न हो रहे थे। __ जिस कार्य की सभी मानव समूह खुशी एवं उत्साह से देखने आया था वह समय भी आ गया शुभ समय में हजारों मानव समुदाय जय-जयकार के गगनभेदी नारों से व बैण्ड ढोल वाद्य यंत्र पर युवक नृत्य करते बालिकाएं गरबा नृत्य करती हुई पुरुष वर्ग जय-जयकार के नारों से व स्त्री वर्ग मंगल घवल गीत गान गाते सभी तीर्थाधिराज श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में 'श्री भूपेन्द्र भवन' जहां त्रिस्तुतिक श्रीसंघ के चतुर्विध श्रीसंघ में श्रमणीवृन्द का प्रमुख स्थान है। वहां गये श्रीसंघ ने साध्वी मंडल से विधिवत वन्दन करके प्रार्थना की आपश्री पधारे जहां श्रीसंघ आपका उत्साह से पधारने की प्रतिक्षा कर रहा है। यह एक संयोग ही है। दीक्षा महोत्सव में