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________________ , जीवन-रेखा । पूज्यपाद-प्रातः स्मरणीय-व्याख्यानवाचस्पति श्रीमान् मुनिराज श्री श्री श्री १००८ श्रीयतीन्द्रविजयजी महाराज की .. आदर्श-जीवन-चर्या जिन मानुषों की कीर्ति का गौरव अतीव अपार है, .. निःस्वार्थ जिनका कार्य इस संसार का उपकार है। उपदेश जिनके शांतिकारक हैं, निवारक शोक के, अनुरक्त उन पर क्यों न हों जो हैं हितैषी लोक के ॥१॥ जन्म परिचय - - आप प्रतिभा सम्पन्न, विचारदक्ष, जैनागम-रहस्यज्ञ और शांत स्वभाव जैन-मुनि हैं। आपके व्याख्यान इतने रोचक होते हैं, जिन्हें केवल जैन ही नहीं, जैनेतर लोग भी बड़े उत्साह से सुनते हैं और हार्दिक प्रसन्नता प्रगट करते हैं। इसी से आप विद्वानों के द्वारा 'व्याख्यान-वाचस्पति' की उपाधि से सुशोभित किए गए हैं। आपका जन्म बुंदलेखंड़ की प्रसिद्ध राजधानी 'धवलपुर' में विक्रम संवत् १९४० कार्तिक शुक्ल २ के दिन जाइसवाल (ओसवाल) (१)
SR No.002268
Book TitleGunanurag Kulak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay
Publication Year1997
Total Pages328
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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