SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ viii निराकम्बनभ्रमा 'व्यवसायात्मक 'पदप्रयोजनम 'प्रत्यक्ष 'पदव्याख्यानम् पुटसध्या 228 280 233 -282 235 236 238 239 240 ..... 240 - 241. 243 प्रत्यक्षलक्षणे परपक्षः धमकीयुक्तप्रत्यक्षलक्षणम् विकल्पानामप्रामाण्यम् विकल्पानामनिन्द्रियजन्यत्वम् विकल्पद्वैविध्यम् विकल्पानामर्थासंस्पर्शित्वम् विपणभेदाः विकल्पानां विपर्यवलक्षण्यम् धर्मकीर्युक्तप्रत्यक्षलक्षणदूषणम् विकल्पानामप्रामाण्यनिरास: निर्विकल्पवद्विकल्पानामपि स्वातन्त्र्यम् निर्विकल्पविषयवस्तुविचारः स्वलक्षणमात्रस्य निर्विकल्पविषयत्वनिरास: सन्मात्रस्य निर्विकल्पविषयत्वनिरास: निर्विकल्पे सूक्ष्मशब्दानुवेधनिरासः .... शबलितस्य निर्विकल्पविषयत्वनिरासः सांख्योक्तप्रत्यक्षलक्षणदूषणम् .... मीमांसकोक्तप्रत्यक्षलक्षणदूषण म्..... योगिप्रत्यक्षसमर्थनम् प्राति भज्ञानप्रामाण्यम् भाषज्ञानादिभ्यः प्रतिभाया वैलमण्यम् योगिनां सर्वज्ञस्वसंभवासंभवविचारः वैशेषिकोक्तप्रत्यक्षलक्षणनिरासा | सांख्योक्तप्रत्यक्षलक्षणनिरास: 244 250 250 253 254 254 255 259 259 268 274 276 277 280 281 .
SR No.002265
Book TitleNyayamanjari Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK S Vardacharya
PublisherOriental Research Institute
Publication Year1969
Total Pages810
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy