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________________ rii [द्वितीयमाह्निकम्-प्रत्यक्षादिपरीक्षा 171-395] पुटमा स्वपक्षः 171-234 300 .... .... .... 171 171 174 175 181 184 180. 189 .... .... .... .... 190 191 प्रत्यक्षलक्षणम् प्रत्यक्षलक्षणसूत्रार्थयोजना प्रत्यक्षस्य प्रवृत्त्यादिहे नुस्वाक्षेपः प्रत्यक्षस्य प्रवृत्तिहेतुत्ववर्णनं पक्षभेदेन प्रत्यक्षेणापि सुखसाधनस्वनिश्चयः .... प्रमाणफलयोरभेदनिरासः .... प्रमाणत्रमेयामित्यभेदनिरासः 'इन्द्रियार्थसन्निकर्षात्पर 'पदप्रयोजनम् इन्द्रियार्थपदविवरणम् सन्निकर्षभेदाः सनिकांसद्धारे प्रमाणम् मुखादीनां मानसत्वम् 'ज्ञान.'पदप्रयोजनम् सुखादीनां ज्ञानमिन्नत्वम् ज्ञानसुखादीनां स्वप्रकाशवाभावः ज्ञानसुखयोः भिन्नकारणजन्यस्वम् .... सुखस्यापि व्यभिचारसमर्थनम् ... "भव्यपदेश्य 'पदप्रयोजनम् .... शब्दानुविद्धप्रत्यक्षनिरासः .... • ऐन्द्रियकप्रत्यक्षेऽपि शब्दभानसंभवः.... निर्विकल्पकसविकल्पकवलक्षण्यम् .... 'भन्यपदेश्य 'पदप्रयोजने पक्षभेदाः .... 'भन्यभिचारि 'पदप्रयोजनम् ... भ्रमे भालम्बनपरीक्षा 191 193 .... 194 195 196 198 .... 200 202 209 212 216 2:20 225 226 228 मानसभ्रमाः
SR No.002265
Book TitleNyayamanjari Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK S Vardacharya
PublisherOriental Research Institute
Publication Year1969
Total Pages810
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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