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अरिहंत की आवश्यकता-वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में ४५ ___ यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसे और दूसरी तरह से समझने का तरीका है कि व्यक्ति में दो तरह की ऊर्जाएँ होती. हैं-पदार्थ ऊर्जा और प्राण ऊर्जा। पदार्थ (Matter) की ऊर्जा की चर्चा की यहाँ आवश्यकता नहीं है परंतु प्राण ऊर्जा का संचालन साधना द्वारा परिवर्तन का सिद्धांत प्रस्तुत करता है। आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक तीनों सिद्धांत प्राण ऊर्जा के द्वारा अपने-अपने सिद्धांत को प्रायोगिक सफलता प्रदान करते हैं। ___ इसे समझने का सरल तरीका यह है कि प्रथम वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक के मूलभूत सिद्धांतों का स्पर्श कर अरिहंत द्वारा प्रदत्त आध्यात्मिक प्रक्रिया के द्वारा इसकी वास्तविकता और चेतसिक ऊर्जा के परिणामों को देखें। ... मूलभूत कण तीन होते हैं१. इलक्ट्रोन- जिन कणों पर ऋणात्मक आवेश होता है। २. प्रोटोन- जिन कणों पर धनात्मक आवेश होता है। ३. न्यूट्रोन- . जो कण आवेश रहित होते हैं। ___ हमारा तैजस शरीर बिजली का पावर हाउस है। इसमें बिजली का प्रवाह (Current) निरंतर प्रवाहित होकर अभिव्यक्त होता रहता है। सृष्टि में दो ध्रुव माने जाते हैं- .
१. उत्तरी ध्रुव और २. दक्षिणी ध्रुव। . इन दोनों ध्रुवों में बिजली का अटूट भण्डार है। वहां जाने पर ऐसा लगता है मानों सैंकड़ों सूर्य उदित हो चुके हों। मानो अन्धकार जैसी कोई चीज ही नहीं है। यहां उत्तरी ध्रुव में धन-विधुत है और दक्षिणी ध्रुव में ऋणविधुत है। ये दोनों विधुत जब आमने-सामने हों तो एक दूसरे में मिल जाती हैं। परंतु दो ऋणात्मक विधुत आपस में मिलें तो वहाँ प्रतिरोध होता है, टक्कर होती है। इसी प्रकार दो धनात्मक बिजली आमने-सामने आयें तो भी यही स्थिति बनती है। आपने पुरातन परंपरा से यह भी सुना होगा कि दक्षिण की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। सोते समय पैर उत्तर में
और सिर दक्षिण में होने चाहिये। कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते थे। परंतु धीरे-धीरे लोगों का अनुभव बढ़ा और विज्ञान ने भी इसका अनुसंधान कर अब सिद्ध किया कि दक्षिण में पैर करके सोने से व्यक्ति को हृदय और मस्तिष्क की बीमारियाँ होती हैं।
यह सिर्फ मान लेने की बात नहीं है परंतु यह Practical Theory है। मनुष्य के शरीर में दो प्रकार की विद्युत हैं -१. पोजीटिव (धन विद्युत) और २. नेगेटिव (ऋण विधुत)। शरीर का उपर का जो भाग है-आँख, कान, नाक, सिर इन सब में धन विधुत है। नीचे का जो भाग है-पैर, जांघ आदि इन सब में ऋण विद्युत है। इसमें