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________________ ४४ सम्बन्ध-दर्शन-अरिहंत और हम अध्यात्म मार्ग व्यक्ति के काम, क्रोध और अहं को समाप्त करने के लिए होता है। इसकी पूर्णतः अभिव्यक्ति साधकों का विधान है। रहस्य को नहीं समझ पाने के कारण विधान कभी परंपरा बन जाते हैं और परंपरा व्यवहार या उपचार का स्वरूप बन जाते हैं। ६. समुद्घात परमात्मा अरिहंत ने इस सृष्टि को Universal Physiogn का सिद्धांत प्रदान कर आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक तरीका प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि आत्म द्रव्य एक होता है पर उसकी पर्याय (Forms) अलग-अलग होती हैं। वैकल्पिक अवस्था में उठने वाली ये तरंगें; जो हम में उठती हैं न तो Ultimate (अंतिम) हैं और न ही Definite (निश्चित) भी हैं। यह नित्य परिवर्तनीय हैं। इसे शास्त्रों में समुद्घाती का नाम दिया गया है, और इसके सात प्रकार बताये हैं। १. वेदना समुद्घात, . २. कषाय समुद्घात ३. मारणान्तिक समुद्घात, ४. वैक्रिय समुद्घात ५. तेजस् समुद्घात, ६. आहारक समुद्घात ७. केवलि समुद्घात। समुद्घात की प्रक्रिया में आत्मप्रदेश शरीर से बाहर निकालकर फैलाये जाते हैं। इस समय ये मूल शरीर में रहकर तैजस और कार्मण रूप उत्तर देह के.साथ बाहर निकलते हैं। निर्जरा के आधार पर समुद्घात में कर्मों की स्थिति और अनुभाग का घात होता है। और दूसरे आधार पर ये अपनी तीव्रता के साथ गुणों का घात करते हैं। ___ इसमें आत्मप्रदेश और कर्मप्रदेश सम किये जाते हैं। उदाहरणतः वेदना भोगते समय वेदना क्षेत्र (स्थान) पर चेतना केन्द्रित होती है, चेतना के केन्द्रित होते ही ऊर्जा एकत्रित होने लगती है। यह ऊर्जा अपने बल से कर्म प्रदेशों को आत्मप्रदेशों के साथ सम करने का प्रयत्न करती है। परिणामतः हमारी समस्त चेतना उसमें लगकर वेदना भोगती है। प्रयोग के बल देखेंगे-पैर में दर्द होता है पर व्यक्ति कहता है मन लगता नहीं, खाना भाता नहीं यह क्यों? इसलिये कि सम्पूर्ण चेतना वेदना के स्थान पर एकाग्र है। ___ इन आत्मप्रदेशों का निःसरण का समय और परिमाण याने विस्तार या मोटाई प्रत्येक समुद्घात में अलग-अलग होती है। जैसे स्त्री-पुरुष के शरीर में से निकलते वेदजनित परमाणु का समय ४८ मिनिट बताया। आज विज्ञान ने भी इसे इसी रूप में सिद्ध किया है कि जातीय परमाणु ४८ मिनिट तक उस-उस क्षेत्र या स्थान से संयोजित रहते हैं। १. प्रज्ञापना सूत्र-पद-३६वाँ
SR No.002263
Book TitleArihant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreji
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1992
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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