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अरिहंत का तत्व-बोध १७ . महाक्षत्रप शोडाश के ४२वें वर्ष के आर्यावर्त स्थापना की स्मृति हेतु अंकित मथुरा के शिलालेख में “नमो अरहतो वर्धमानस' लिखा है।
मथुरा लैणशोमिका नाम्नी एक उपासिका द्वारा मथुरा में अंकित एक प्राकृत शिलालेख में “नमो अरहतो वर्धमानस' लिखा है, आगे जैन मंदिर हेतु "अरहतायतन" और "अरहतपूजाये" लिखा है।
लगभग १४-१३ ई. स. पूर्व के गौतीपुत्र की पत्नी कौशिक कुलोद्भूत शिवमिज्ञा द्वारा मथुरा में अंकित शिलालेख में “(न) मो अरहतो वर्धमानस्य" लिखा है।
मथुरा १४-१३ ई. स. पूर्व के गौतीपुत्र इन्द्रपाल द्वारा अंकित एक शिलालेख में "अरहतपूजा" शब्द का प्रयोग हुआ है।
हस्तलिखित पत्र (बलहस्तिनी) श्रमणोपासिका द्वारा मथुरा में अंकित शिलालेख में “अरहंतानं" लिखा है।
फगुयश की पत्नी शिघयशा द्वारा जिन-पूजा हेतु निर्मित आयागपट्ट पर अंकित मथुरा के शिलालेख में “नमो अरहंतानं" लिखा है।
मथुरा निवासी लवाड पली द्वारा अंकित मथुरा के शिलालेख में “नमो अरहतो" लिखा है। ___ मथुरा में हैरण्यक देवकी पुत्री हेतु निर्मित महावीर की प्रतिमा के नीचे “नमो अर्हतो महावीरस्य सं. ९0 ३(व). "इस प्रकार अंकित किया है।
मथुरा में वासुदेव.सं. ९८ से आर्यक्षम के नाम से निर्मित शिलालेख में "नमो अरहतो महावीरस्य" लिखा है। ... सिंहनादिक द्वारा मथुरा में अंकित शिलालेख में “नमो अरहतान" लिखा है। - शिवघोष की भार्या द्वारा अंकित शिलालेख में "नमो अरहताना" लिखा है।
भद्रनंदी (भद्रनन्दिन्) की पत्नी अचला द्वारा स्थापित मथुरा आयागपट्ट पर अंकित लेख में “नमो अरहतानं" लिखा है। . सिनविषु (विष्णुषेण) की बहन के दान-स्मृति रूप मथुरा के एक शिलालेख में "अरहतानं" लिखा है। . मथुरा के १५ भग्न शिलालेख में "(सि) द्ध नमो अरहताणं" लिखा है।
मथुरा में सं. २९९ के अंकित शिलालेख में “अरहन्तांना" लिखा है।
देवगिरि (जिला धारवाड) के संस्कृत के लेख में अरिहंत स्तुति रूप एक सुन्दर श्लोक दिया है :
जयत्यहस्त्रिलोकेशः सर्वभूतहिते रतः। . रागाधरिहरोनन्तोनन्तज्ञानदृगीश्वरः॥