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२७२ परिशिष्ट १०४. ललित विस्तरा : श्री. हरिभद्रसूरि (संस्कृत)
ऋषभदेवजी केसरीमलजी श्वेताम्बरी संस्था
रतलाम, वि. सं. १९९० १०५. लोगस्ससूत्र स्वाध्याय आचार्य श्री विजय विक्रम सूरीश्वरजी संशोधन (गुजराती) मुनिवर्य श्री तत्वानंदविजयजी म.
प्रकाशक : जैन साहित्य विकास मंडल,
बम्बई ५९. ई. स. १९६५. १०६. श्रीवन्दारुवृन्ति : आचार्य प्रवर श्री देवेन्द्रसूरि निर्मित . (श्रावकविधि) : (संस्कृत) श्रावकषडावश्यकसूत्र विवरणमयी
प्रकाशक : ऋषभदेवजी केसरीमलजी
रतलाम, वि. सं. १९८५. १०७. श्री वर्धमान देशना श्री शुभवर्द्धनगणि विरचित (प्राकृत)
श्री जैन धर्म प्रसारक सभा, भावनगर, :
वीर संवत् २४५८. श्री वासुपूज्य चरितम् श्री वर्द्धमानसूरि विरचित (सं. १२९९) (संस्कृत) प्रकाशक-जैन प्रसारक सभा, भावनगर
सं. १९६६.. १०८. विनयपिटक महावग्ग प्रकाशक-पाली पब्लिकेशन बौद्ध (पाली) बिहार राज्य ·
, १०९. विनयपिटक (हिन्दी) प्रकाशक-महाबोधि सभा-सारनाथ ११०. विशेषावश्यकभाष्यम् - मलधारी हेमचन्द्रसूरि कृत शिष्य । (भा.१) (संस्कृत-प्राकृत) हितानाम्न्या बृहवृत्ति सह (११८०).
संशोधक, पं. हरगोविन्ददास .. प्रकाशक, हरखचंद भूराभाई,
बनारस सिटी, वीर संवत २४४१. १११. विशेषावश्यक भाष्यम् जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण विरचितम् (भा.२) (संस्कृत) मलधारि हेमचन्द्रसूरि विरचितया ।
बृहत्वृत्ति वीर संवत २४३८. ११२. विमलनाथचरित्रं (१५१७) ग्रन्थकर्ता ज्ञान सागर सूरि (संस्कृत)
हीरालाल हंसराज (जामनगरवाला) संवत १९६६.