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साध्वी श्री दिव्य प्रभाजी ने वर्ष १९८१ में डॉ. बी. बी. रायनाडे के निदेशन में प्रस्तुत शोध प्रबन्ध की प्रस्तुति की जिस पर विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने आपको पी-एच. डी. की उपाधि प्रदान की है। ___ हम साध्वीश्री डॉ. दिव्य प्रभाजी का इस ग्रन्थ के प्रकाशन का दायित्व प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त करते हैं। श्रमण संघ के आचार्य श्री देवेन्द्र मुनिजी के प्रति भी हम आभारी हैं कि उन्होंने इस पुस्तक की प्रेरक प्रस्तावना लिख भेजी। वे सदा ही ऐसी सृजनात्मक योजनाओं के प्रेरक व प्रशंसक रहे हैं।
(उमरावमल चोरडिया) (म. विनयसागर) . (देवेन्द्र राज मेहता) .. अध्यक्ष निदेशक
सचिव अ. भा. श्वे. स्था. जैन कान्फ्रेंस प्राकृत भारती अकादमी प्राकृत भारती अकादमी
राजस्थान संभाग .. जयपुर
जयपुर
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