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________________ प्रकाशकीय : अर्हत् शब्द यों तो भारतीय वाङ्मय एवं संस्कृति में आदिकाल से एक महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किए हुए हैं, किन्तु जैनों की समस्त चिन्तन-धारा तथा जीवन प्रणाली में यह शब्द रचा-बसा है। अरिहन्त जैन तीर्थंकर का भी नाम है। सभी जैन अरिहन्त को नमस्कार करते हैं, उनकी आराधना करते हैं। पर, सभी यह नहीं जानते कि इस छोटे से शब्द का अर्थ कितना व्यापक है। प्रस्तुत शोध ग्रन्थ इस शब्द के पीछे रही विशाल विचार सामग्री तथा अवधारणाओं पर आधारित है। जैन आराधन वस्तुतः व्यक्ति की नहीं गुणों की आराधना है। अरिहन्त जो गुणों का पुंज है, एक धनीभूत पुंज, उसके गुणों से भली-भांति समझे बिना यह आराधना अधूरी है। आत्मा सुख और शान्ति की खोज में जब विकासोन्मुख हो परमात्मा या विशुद्ध आत्मा हो जाने की. यात्रा पर चल पड़ती है, तब सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को निरावरण, अपने मूल स्वभाव में देख पाती है। यही याऋ क्रम अरिहन्त का गुण दर्शन है। बाहर से भीतर की या भीतर से बाहर की इस यात्रा को सम्यक् रूप से समझने व उस पर चल पड़ने का प्रयत्न ही साधना है। यह शोध ग्रन्थ इस शब्द से जुड़ी. उस दीर्घ परम्परा में उन गुणों और संदर्भो की खोज है। यह खोज़ अतीत के गर्भ में ही नहीं जाती अपितु उसमें से प्राप्त सामग्री को वर्तमान से जोड़ने का सफल प्रयल भी करती है। भौतिक जगत का विज्ञान आज के भौतिक जीवन का ही अंग नहीं बना है, वह हमारे विचारों पर भी प्रभावी रूप से छा गया है। विज्ञान की भाषा व तर्क-प्रणाली में ढाले. बिना हमारे पुरातन मनीषियों की उपलब्धियाँ अपनी उपयोगिता खो देने की स्थिति में आती जा रही हैं। इस दृष्टिकोण से इस ग्रन्थ की विशेष उपयोगिता है तथा पुरातन उपलब्धियों को विज्ञान सम्मत शैली व तर्क संगत रूप में प्रस्तुत करने का साध्वीश्री का प्रयल सराहनीय है। ___ हमें हर्ष है कि हम अपने यहाँ से प्रकाशित शोध ग्रन्थों की परम्परा में यह ग्रन्थ अपने पाठकों को प्राकृत भारती पुष्प ९३ के रूप में उपलब्ध करा रहे हैं। हमारा विश्वास है कि इस चिन्तन विधा व सामग्री से वे लाभान्वित होंगे। आराध्य के गुणों से परिचित होना आराधना के नए सोपान खोलता है और विकास का मार्ग प्रशस्त होता जाता है। [१९]
SR No.002263
Book TitleArihant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreji
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1992
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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