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प्रतिपाद्य
श्लोक परिमाण
छन्द
लक्षण
दूसरा स
महाराज बाहुबली की सभा में भरत के दूत का आगमन और सन्देश - कथन |
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उपजाति । यह इन्द्रवज्रा छन्द और उपेन्द्रवज्रा छन्द के मिश्रण से बनता है । इसके कीर्ति, माला, शाला, हंसी आदि १४ भेद हैं ।
इन्द्रवज्रा - 'स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः ' ( दो तगण, एक जगण, दो गुरु – SSI, SSI, IऽI, ऽऽ)
उपेन्द्रवज्रा - 'उपेन्द्रवज्रा प्रथमे लघौ सा' ( गण इन्द्रवज्रा जैसे ही, किन्तु चारों चरणों का प्रथम अक्षर ह्रस्व ) ।