________________
कथावस्तु
घमासान युद्ध प्रारंभ हुआ। रक्त की स्रोतस्विनी बह चली। हाथी तैरने लगे। कटे शिर वाले कुछ सुभटों के धड़ मात्र लड़ रहे थे। वे इस बात को प्रमाणित कर रहे थे कि शरीर अभिप्राय के पीछे-पीछे चलता है।
भरत की सेना का सेनापति सुषेण और बाहुबली की सेना का सेनापति सिंहरथ दोनों अपनी-अपनी सेनाओं को प्रोत्साहित कर रहे थे। उस समय ऐसा लग रहा था मानों कि पार्वती का पुत्र कात्तिकेय अपनी देवसेना को प्रोत्साहित कर रहा हो।
सुषेण के सामने कोई नहीं टिक सका। बाहुबली की सेना में 'भगदड़ मच गई। इतने में ही बाहुबली का पक्ष लेने वाला विद्याधर 'अनिलवेग' उससे आ भिड़ा। भीषण आक्रमण-प्रत्याक्रमण होने लगे। अनिलवेग ने सुषेण के धनुष्य को तोड़ डाला । सुषेण क्रुद्ध होकर सिंहरथ पर झपटा। दोनों का युद्ध देखकर दर्शकगण दांतों तले अंगुली दबाने लगे। इतने में ही सूर्य अस्ताचल में जा छुपा । युद्ध बन्द हो गया।
दसरे दिन फिर दोनों की भिड़न्त हई । सिंहरथ के तीव्र प्रहारों के कारण सुषेण रणभूमी को छोड़कर भाग गया। रणभूमी में हाहाकार मचाने वाले अनिलवेग को देखकर चक्रवर्ती ने अपना चक्र फेंका। वह रणभूमी से भाग खड़ा हुआ। दूर जाकर उसने विद्याशक्ति से वज्रमय पंजर बनाकर स्वयं तोते की भांति उसमें जा छुपा । चक्र ने बिडाल का रूप धारण कर तोते की गरदन मरोड़ दी। अनिलवेग मर गया । यह देख बाहुबली के सुभटों का खून खौल उठा। वे शतगुणित उत्साह से लड़ने लगे। उन्होंने चक्रवर्ती के सैनिकों को तिनकों की भांति जलाना प्रारंभ किया। उनकी सेना का यशस्वी वीर रत्नारि' मैदान में कूद पड़ा और देखते-देखते उसने चक्रवर्ती की समूची सेना को आक्रान्त कर डाला। इतने में ही चक्रवर्ती के यशस्वी सूभट विद्याधरेश महेन्द्र ने रत्नारि के शिर को चूर-चूर कर डाला । सूर्य अस्त हो गया। दोनों सेनाए अपने-अपने शिविरों मे आ गई । सेनापति सुषेण ने भरत से कहा-'राजन् ! आपके पुत्र वीर हैं किन्तु वे बंधुजनों के दाक्षिण्य के कारण युद्ध लड़ना नहीं चाहते। यह उचित नहीं है। उनके कारण आपको पराजय का मुह देखना पड़े, यह क्षत्रियोचित बात नहीं हैं।' चक्रवर्ती के पुत्रों को यह आरोप असह्य लगा और व सब युद्ध के लिए प्रमुदित हो उठे।
दूसरे दिन सूर्योदय के साथ-साथ युद्ध प्रारंभ हो गया । बाहुबली के दो विद्याधर वीर-सुगति और मितकेतु चक्रवर्ती के पुत्र शार्दूल तथा सूर्ययशा द्वारा मारे गए । विद्याधर युगल के वध से क्रुद्ध होकर बाहुबली ने सिंहनाद किया । उस सिंहनाद को सुनकर चक्रवत्ती के सवा कोटि पुत्र रणभूमी से पलायन कर गए । अब सूर्ययशा और बाहुबली आमने-सामने हो गए। देवता प्रकंपित हो उठे।
००