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सातवां सर्ग
प्रतिपाद्य
अपने अन्तःपुर की रमणियों के साथ भरत के वन-विहार का वर्णन ।
श्लोक परिमाण
छन्द
रथोद्धता।
लक्षण- :
'रात्परैर्नरलगै रथोद्धता' (एक रगण, एक नगण, एक रगण, एक लघु और एक गुरु-55, ।।, SIS, I, 5)। इसमें ग्यारह अक्षर होते हैं। पहला, तीसरा, सातवां, नौवां और ग्यारहवां दीर्घ होता है। रथोद्धता छन्द और स्वागता छन्द में यही अन्तर है कि रथोद्धता में नौवां अक्षर गुरु और दसवां लघु होता है। किन्तु स्वागता छन्द में नौवां अक्षर लघु और दसवां अक्षर गुरु होता है।